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________________ परिशिष्ट समय नहीं आई तो क्या होगा ? आचार्य कहते हैं कि अभाव-भाव नाम की एक ऐसी शक्ति है कि जिसके कारण अगले समय में होनेवाली पर्याय अगले समय में गारंटी से होगी ही। यानिष्क्रान्तभवनमात्रमयी भावशक्तिः । कारकानुगतभवत्तारूपभावमयी क्रियाशक्तिः। जो पर्याय होनी है, वह न होकर कोई अन्य पर्याय हो जाये और जिस पर्याय का अभाव होना है, उसका अभाव न हो तो क्या होगा ? आत्मा में भावभाव और अभाव-अभाव नाम की ऐसी शक्तियाँ हैं कि जिनके कारण जो पर्याय होनी हो, वही होती है और जो नहीं होनी हो, वह नहीं होती। इसप्रकार उक्त छह शक्तियों के स्वरूप को सही रूप में समझ लेने से यह आशंका समाप्त हो जाती है कि कोई कार्य समय पर नहीं हुआ तो क्या होगा? इन शक्तियों के नामों से ही इनका स्वरूप स्पष्ट हो रहा है। भाव शब्द का अर्थ होता है - होना। अत: जिस समय जो पर्याय होनी हो, उस समय उस पर्याय का नियमरूप से होना ही भावशक्ति का कार्य है । इसीप्रकार अभाव शब्द का अर्थ होता है - नहीं होना । अत: जिस समय जिस पर्याय का नहीं होना निश्चित हो; उस पर्याय का उस समय नहीं होना ही अभावशक्ति का कार्य है। __इसीप्रकार भावाभाव अर्थात् भाव का अभाव । जो पर्याय अभी विद्यमान है, उसका अगले समय में निश्चितरूप से अभाव हो जाना ही भाव-अभावशक्ति है और अभावभाव अर्थात् अभाव का भाव होना । जो पर्याय अभी नहीं है और अगले समय में नियम से होनेवाली है; उस अभावरूप पर्याय का भावरूप होना ही अभावभावशक्ति का कार्य है। भावभाव अर्थात् भाव का भाव और अभाव-अभाव अर्थात् अभाव का अभाव । तात्पर्य यह है कि जो पर्याय होनेवाली है, उसी पर्याय का होना अन्य का नहीं होना भावभावशक्ति का कार्य है और जो पर्याय होनेवाली नहीं है अथवा जिसका अभाव सुनिश्चित है; उस पर्याय का नहीं होना अभाव-अभावशक्ति का कार्य है। उक्त भावादि छह शक्तियों की चर्चा के उपरान्त अब ३९वीं भावशक्ति और ४०वीं क्रियाशक्ति की चर्चा करते हैं - ३९-४०. भावशक्ति और क्रियाशक्ति इन भावशक्ति और क्रियाशक्ति का स्वरूप आत्मख्याति में इसप्रकार स्पष्ट किया गया है - कारकों के अनुसार होनेवाली क्रिया से रहित भवनमात्रमयी भावशक्ति है और कारकों के अनुसार परिणमित होनेरूप भावमयी क्रियाशक्ति है। देखो, यह भावशक्ति कारकों के अनुसार होनेवाली क्रिया से रहित मात्र होनेरूप है और क्रियाशक्ति कारकों के अनुसार परिणमित होनेरूप है।
SR No.008377
Book TitleSamaysar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year2006
Total Pages646
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Religion
File Size1 MB
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