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समयसार
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इसप्रकार प्रतिक्रमणकल्प को प्रस्तुत करने के उपरान्त आत्मख्याति में आलोचनाकल्प के ४९ भंग प्रस्तुत किये हैं; जो इसप्रकार हैं - ___१. मैं वर्तमान में मन-वचन-काय से कर्म न तो करता हूँ, न कराता हूँ और न अन्य करते हुए का अनुमोदन करता हूँ।
२. मैं वर्तमान में मन-वचन से कर्म न तो करता हूँ, न कराता हूँ और न अन्य करते हुए का अनुमोदन करता हूँ। __३. मैं वर्तमान में मन-काय से कर्म न तो करता हूँ, न कराता हूँ और न अन्य करते हुए का अनुमोदन करता हूँ।
४. मैं वर्तमान में वचन-काय से कर्म न तो करता हूँ, न कराता हूँ और न अन्य करते हुए का अनुमोदन करता हूँ।
..मैं वर्तमान में मन से कर्म न तो कस्ता हूँ, कसता हूँ और न अन्य करते हुए का अनुमोदन करता हूँ।
६. मैं वर्तमान में वचन से कर्म न तो करता हूँ, न कराता हूँ और न अन्य करते हुए का अनुमोदन करता हूँ। चेति ।६। न करोमि, न कारयामि, न कुर्वन्तमप्यन्यं समनुजानामि, कायेन चेति ।७।
न करोमि, न कारयामि, मनसा च वाचा च कायेन चेति ।८। न करोमि, न कुर्वन्तमप्यन्यं समनुजानामि, मनसा च वाचा च कायेन चेति ।९। न कारयामि, न कुर्वन्तमप्यन्यं समनुजानामि, मनसा च वाचा च कायेन चेति ।१०। न करोमि, न कारयामि, मनसा च वाचा चेति ।११। न करोमि, न कुर्वन्तमप्यन्यं समनुजानामि, मनसा च वाचा चेति ।१२। न कारयामि, न कुर्वन्तमप्यन्यं समनुजानामि, मनसा च वाचा चेति ।१३। न करोमि, न कारयामि, मनसा च कायेन चेति ।१४।
न करोमि, न कुर्वन्तमप्यन्यं समनुजानामि, मनसा च कायेन चेति ।१५। न कारयामि, न कुर्वन्तमप्यन्यं समनुजानामि, मनसा च कायेन चेति ।१६। न करोमि, न कारयामि, वाचा च कायेन चेति ।१७। न करोमि, न कुर्वन्तमप्यन्यं समनुजानामि, वाचा च कायेन चेति ।१८। न कारयामि, न कुर्वन्तमप्यन्यं समनुजानामि, वाचा च कायेन चेति ।१९। न करोमि, न कारयामि,
७. मैं वर्तमान में काय से कर्म न तो करता हूँ, न कराता हूँ और न अन्य करते हुए का अनुमोदन करता हूँ।
८. मैं वर्तमान में मन-वचन-काय से कर्म न तो करता हूँ, न कराता हूँ।
९. मैं वर्तमान में मन-वचन-काय से कर्म न तो करता हूँ और न अन्य करते हुए का अनुमोदन करता हूँ।
१०. मैं वर्तमान में मन-वचन-काय से कर्म न तो कराता हूँ और न अन्य करते हुए का अनुमोदन करता हूँ।
११. मैं वर्तमान में मन-वचन से कर्म न तो करता हूँ, न कराता हूँ।