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समयसार तबतलक यह आतमा कर्ता रहे - यह जानना ।।२८५।। अप्रतिक्रमणं द्विविधमप्रत्याख्यानं तथैव विज्ञेयम् । एतेनोपदेशेन चाकारको वर्णितश्चेतयिता ।।२८३।। अप्रतिक्रमणं द्विविधं द्रव्ये भावे तथाऽप्रत्याख्यानम् । एतेनोपदेशेन चाकारको वर्णितश्चेतयिता ।।२८४।। यावदप्रतिक्रमणमप्रत्याख्यानं च द्रव्यभावयोः।
करोत्यात्मा तावत्कर्ता स भवति ज्ञातव्यः ।।२८५।। आत्मात्मना रागादीनामकारक एव, अप्रतिक्रमणाप्रत्याख्यानयोद्वैविध्योपदेशान्यथानुपपत्तेः।
यः खलु अप्रतिक्रमणाप्रत्याख्यानयोर्द्रव्यभावभेदेन द्विविधोपदेशः स द्रव्यभावयोर्निमित्तनैमित्तिकभावं प्रथयन्, अकर्तृत्वमात्मनो ज्ञापयति । तत एतत् स्थितं - परद्रव्यं निमित्तं, नैमित्तिका आत्मनो रागादिभावाः।
अप्रतिक्रमण दो प्रकार का है। इसीप्रकार अप्रत्याख्यान भी दो प्रकार का जानना चाहिए। इस उपदेश से आत्मा अकारक कहा गया है।
अप्रतिक्रमण दो प्रकार का है - द्रव्यसंबंधी अप्रतिक्रमण और भावसंबंधी अप्रतिक्रमण। इसीप्रकार अप्रत्याख्यान भी दो प्रकार का है - द्रव्यसंबंधी अप्रत्याख्यान और भावसंबंधी अप्रत्याख्यान । इस उपदेश से आत्मा अकारक कहा गया है।
जबतक आत्मा द्रव्य का और भाव का अप्रतिक्रमण और अप्रत्याख्यान करता है; तबतक वह कर्ता होता है - ऐसा जानना चाहिए।
भूतकाल संबंधी दोषों का परिमार्जन प्रतिक्रमण है और भविष्य में दोषों को नहीं होने देने का संकल्प प्रत्याख्यान है। प्रतिक्रमण का नहीं होना अप्रतिक्रमण है और प्रत्याख्यान का नहीं होना अप्रत्याख्यान है।
आचार्य जयसेन के अनुसार पूर्वानुभूत विषयों के अनुभवरूप रागादिक का स्मरण अप्रतिक्रमण है और भविष्य में होनेवाले रागादि के विषयों की आकांक्षा अप्रत्याख्यान है।
ये अप्रतिक्रमण और अप्रत्याख्यान द्रव्य और भाव के भेद से दो-दो प्रकार के होते हैं। द्रव्य अप्रतिक्रमण और भाव अप्रतिक्रमण - ये दो अप्रतिक्रमण के भेद हैं और द्रव्य अप्रत्याख्यान और भाव अप्रत्याख्यान - ये दो अप्रत्याख्यान के भेद हैं। इन गाथाओं का भाव आत्मख्याति में इसप्रकार स्पष्ट किया गया है -
“यह आत्मा स्वयं से तो रागादिभावों का अकारक ही है; क्योंकि यदि ऐसा न हो तो अप्रतिक्रमण और अप्रत्याख्यान की द्विविधता का उपदेश नहीं हो सकता।
अप्रतिक्रमण और अप्रत्याख्यान का जो द्रव्य और भाव के भेद से दो प्रकार का उपदेश (कथन) है, वह द्रव्य और भाव के निमित्त-नैमित्तिकत्व को प्रगट करता हुआ आत्मा के अकर्तृत्व को ही बतलाता है। इसलिए यह निश्चित हुआ कि परद्रव्य निमित्त है और आत्मा के