________________
बंधाधिकार
३४९
यथा नाम कोऽपि पुरुष: स्नेहाभ्यक्तस्तु रेणुबहुले । स्थाने स्थित्वा च करोति शस्त्रैर्व्यायामम् ।। २३७ ।। छिनत्ति भिनत्ति च तथा तालीतलकदलीवंशपिण्डीः । सचित्ताचित्तानां करोति द्रव्याणामुपघातम् ।।२३८ ।। उपघातं कुर्वतस्तस्य नानाविधैः करणैः । निश्चयतश्चिंत्यतां खलु किंप्रत्ययिकस्तु रजोबंध: ।। २३९ ।। यः स तु स्नेहभावस्तस्मिन्नरे तेन तस्य रजोबंध: । निश्चयतो विज्ञेयं न कायचेष्टाभिः शेषाभिः ।। २४० ।। एवं मिथ्यादृष्टिर्वर्तमानो बहुविधासु चेष्टासु । रागादीनुपयोगे कुर्वाणो लिप्यते रजसा ।। २४१ ॥ इह खलु यथा कश्चित् पुरुष: स्नेहाभ्यक्त:, स्वभावत एव रजोबहुलायां भूमौ स्थितः, शस्त्रव्यायामकर्म कुर्वाणः, अनेकप्रकारकरणैः सचित्ताचित्तवस्तूनि निघ्नन् रजसा बध्यते ।
जिसप्रकार कोई पुरुष अपने शरीर में तेल आदि चिकने पदार्थ लगाकर बहुत धूलवाले स्थान में रहकर शस्त्रों के द्वारा व्यायाम करता है तथा ताड़, तमाल, केला, बाँस, अशोक आदि वृक्षों को छेदता है, भेदता है; सचित्त व अचित्त द्रव्यों का उपघात ( नाश) करता है ।
इसप्रकार नानाप्रकार के साधनों द्वारा उपघात करते हुए उस पुरुष के धूलि का बंध किसकारण से होता है ? - निश्चय से इस बात का विचार करो ।
उस पुरुष के जो तेलादि की चिकनाहट है; उससे ही उसे धूलि का बंध होता है, शेष शारीरिक चेष्टाओं से नहीं; ऐसा निश्चय से जानना चाहिए।
इसप्रकार बहुतप्रकार की चेष्टाओं में वर्तता हुआ मिथ्यादृष्टि जीव अपने उपयोग में रागादिभावों को करता हुआ कर्मरूपी रज से लिप्त होता है, बँधता है ।
उक्त पाँच गाथाओं में आरंभ की तीन गाथाओं में तेल लगाकर धूलि भरे स्थान में शस्त्रों से व्यायाम करते हुए पुरुष का उदाहरण देकर प्रश्न किया गया है कि उक्त पुरुष के जो रजबंध होता है, धूल चिपटती है; उसका कारण क्या है ?
चौथी गाथा में उत्तर दिया गया है कि उसके रजबंध का कारण तेल की चिकनाई ही है, अन्य शारीरिक चेष्टा आदि नहीं ।
पाँचवीं गाथा में उसी बात को मिथ्यादृष्टि जीव पर घटित किया गया है। उसमें कहा गया है रागादिभावों से मिथ्यादृष्टि जीव भी अनेक शारीरिक चेष्टायें करता है; किन्तु उसे जो कर्मबंध होता है, वह रागादिभावों के कारण होता है, शारीरिक चेष्टाओं आदि के कारण नहीं ।
इन गाथाओं का भाव आत्मख्याति में इसप्रकार स्पष्ट किया गया है
-
“जिसप्रकार इस जगत में तेल की मालिश किये हुए कोई पुरुष स्वभाव से बहुधूलियुक्त भूमि में खड़े होकर शस्त्रों से व्यायाम करता हुआ अनेकप्रकार के साधनों के द्वारा सचित्त-अचित्त वस्तुओं का घात करता हुआ धूलि से धूसरित हो जाता है, लिप्त हो जाता है, बँध जाता है।
यहाँ विचार करो कि उक्त कारणों में से उसके बंधन का कारण कौन है ?