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________________ पुनः प्रश्न हुआ - प्रभो ! भक्ष्य-अभक्ष्य भी समझ गया, मात्र एक प्रश्न और है - द्विदल किसे कहते हैं? उनके खाने में क्या दोष हैं ? उत्तर - सुनो ! चना, उड़द, मूंग, मसूर, अरहर आदि सभी प्रकार के दो दल वाले अनाजों को दही, छाछ (मट्ठा) में मिलाकर बनाये गये कड़ी, रायता, दहीबड़ा आदि को खाना द्विदल अभक्ष्य है। यद्यपि उपर्युक्त दो दल वाले सभी अनाज भक्ष्य हैं, खाने योग्य हैं और मर्यादित दही व छाछ भी भक्ष्य है, तथापि इनको मिलाकर खाने से यह अभक्ष्य हो जाते हैं, क्योंकि दालों और दही छांछ के मिश्रण से बने पदार्थों का लार से संयोग होने पर तत्काल त्रसजीव पैदा हो जाते हैं। अत: इनके खाने में मांस का आंशिक दोष (अतिचार) है। यह बात युक्ति, आगम और अनुभव से सिद्ध होती है। परन्तु उपर्युक्त खाद्य पदार्थों के बनाने की विधि को लेकर दो पक्ष प्रचलित हैं, आगम में भी दोनों तरह के उल्लेख मिल जायेंगे, अत: यह अपने स्व-विवेक | पर निर्भर करता है कि हम क्या करें ? पहला पक्ष पण्डित आशाधरजी के सागारधर्मामृत में उद्धृत योगशास्त्र के निम्नांकित श्लोक को आधार बनाकर छांछ व दही को उष्ण करके दो दलवाले अनाज मिलाकर बनाई गई कढी आदि खाने में दोष नहीं मानेंगे। वे कहेंगे “आम गोरस सम्पृक्त, द्विदलादिषु जन्तवः। दृष्टाः केवलिभिः सूक्ष्मस्तस्मातानिविवर्जयेत् ।। वे आम का अर्थ कच्चे गोरस से सम्पृक्त (मिले हुए) अन्न को खाना ही द्विदल अभक्ष्य मानेंगे। जो भी हो, पर इससे इतना तो सिद्ध हो ही जायेगा कि कच्चे दही छांछ में दो दलवाले अन्न के मिश्रण से त्रसजीवों | की उत्पत्ति होती है। +ER Is NEFF
SR No.008375
Book TitleSalaka Purush Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year2003
Total Pages384
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size1 MB
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