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________________ BREFFFF 13 यदि सभी मांसाहार त्याग दें तो उनका क्या होगा? जिनका जन्म-जन्मान्तरों एवं पीढ़ी-दर-पीढ़ियों से | मांसाहार ही मुख्य भोजन रहा है, वे उसके बिना कैसे जीवित रह सकते हैं ? दूसरी बात यह भी विचारणीय है कि यदि मछलियों, मुर्गों, बकरों, भेड़ आदि मांसोत्पादक पशुओं को मांस के लिए मारा नहीं जाएगा तो इनकी संख्या इतनी अधिक बढ़ जायेगी कि लोक में समायेगी ही नहीं, तब क्या होगा? तीसरी समस्या यह उपस्थित होती है कि यदि सभी मनुष्य मांस खाना छोड़ दें तो भारी संख्या में मनुष्य जाति भूखों मर जाएगी; क्योंकि इतना अनाज कहाँ से लाया जाएगा? मांसाहार से अनाज की भारी बचत होती है। मांस अन्न की कमी की पूर्ति करता है। इस समस्या से कैसे निबटा जायेगा? मांसाहार के पक्ष में एक तर्क यह दिया जाता है कि मांस खाने से मांस बढ़ता है। मांस सीधे मांस की पूर्ति कर देता है; अत: मांसाहार का सर्वथा निषेध कैसे किया जा सकता है ? उत्तर - अरे भाई! ऐसे तर्क तो पक्ष व विपक्ष में बहुत दिए जा सकते हैं, पर वास्तविक बात यह है कि सभी मनुष्य प्रकृति से शाकाहारी ही हैं। मनुष्य की शारीरिक संरचना ही ऐसी है, जिसमें मांस पचाने की शक्ति ही नहीं होती; फिर भी जो मजबूरी से मांस खाते हैं, वे अनेक बीमारियों से घिर जाते हैं; क्योंकि उनकी आंते अतिरिक्त बोझ कबतक सह सकती हैं ? दूसरे मजबूरी की जो बात कही जाती है, वह भी निराधार है; क्योंकि मांस मिलना इतना सरल भी नहीं है, जितना अन्न-फल व साग-भाजी आदि। मांस तो हमेशा साग-भाजी व अन्य अन्न से महंगा व दुर्लभ होता है; फिर मजबूरी कैसी ? निर्दय परिणामों के बिना मांसाहार संभव ही नहीं है। यह शारीरिक शक्ति के लिए जरूरी भी नहीं है; क्योंकि इसके बिना भी सबसे अधिक श्रम करनेवाला घोड़ा घास व अन्न खाकर अपनी शक्ति का संचय कर लेता है। FFER
SR No.008375
Book TitleSalaka Purush Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year2003
Total Pages384
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size1 MB
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