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________________ BREEFFFFy अत: अन्न, फल व साग-सब्जी तो भक्ष्य हैं; किन्तु मांस अभक्ष्य है, खाने योग्य नहीं है। देखो, अपनी माँ तो स्त्री है, पर सभी स्त्रियाँ माँ तो नहीं हैं। इसीतरह मांस तो जीवों का शरीर है। पर | सभी जीवों का शरीर मांस नहीं है। तथा जिसतरह नारी जाति की अपेक्षा सभी स्त्रियाँ समान होने पर भी | पत्नी भोग्य है और माँ भोग्य नहीं है, पूज्य है, उसीतरह जीव जाति की अपेक्षा त्रस व स्थावर-जीव होने | पर भी स्थावर जीवों का शरीर भक्ष्य है और त्रस जीवों का नहीं। और भी देखो, दूध और मांस दोनों ही गाय के अंग हैं, गाय में से उत्पन्न होते हैं, उनमें दूध तो शुद्ध है, भक्ष्य है और मांस अशुद्ध है, अभक्ष्य है। इसप्रकार की वस्तुगत ही यह विचित्रता है। कहा भी है - "हेयं पलं पयः पेयं, समे सत्यापि कारणे। शुद्ध दुग्धं न गोमांसम् वस्तु वैचित्र्यमीदृशम् ।। दूध और मांस दोनों के कारण समान होने पर भी दोनों एक ही शरीर से उत्पन्न होने पर भी मांस हेय है और दूध पेय है।" देखो वैष्णव संस्कृति में भी गाय से उत्पन्न होनेवाले दूध, दही, घी आदि पंचगव्यों को तो ग्राह्य कहा है तथा गाय से उत्पन्न होनेवाले गोरोचन को तो पूजा प्रतिष्ठा आदि शुभ कार्यों में भी उपादेय कहा है; किन्तु गोमांस भक्षण न करने की शपथ दिलाई है। इसलिए यह कहना उचित नहीं है कि अन्न, फल व वनस्पति भी प्राणी के अंग होने से मांस की तरह अभक्ष्य हैं। वस्तुत: बात यह है कि दूध, दही, अन्न, फल व खाद्य सब्जियाँ भक्ष्य हैं और मांस सर्वथा अभक्ष्य है। इस संदर्भ में कुछ ऐसे भी ज्वलंत प्रश्न किए जाते हैं, जिनका समाधान अपेक्षित है। जो लोग शौक से अपनी इच्छा पूर्ति के लिए मद्य-मांस का सेवन करते हैं, उनकी बात तो वे जाने; परन्तु बहुत से व्यक्ति ऐसे भी हैं जिन्हें मांसाहार जरूरी है, या मांस खाना और जीवों का वध करना जिनकी मजबूरी है, जैसे भील, धीवर, कसाई और सिंह आदि। लाखों लोग और पशु इस आजीविका से जुड़े हैं, || TERNER ५ ९,
SR No.008375
Book TitleSalaka Purush Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year2003
Total Pages384
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size1 MB
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