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________________ मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के दिन उसने पद्मप्रभ नामक पुत्र को जन्म दिया। इस पुत्र के उत्पन्न होते ही हर्ष से समस्त प्राणियों का दुःख तो दूर हो ही गया, शोक भी शान्त हो गया। मोक्षमार्ग पर अपनी | ज्ञानज्योति का प्रकाश करनेवाले और सबको मोक्षमार्ग दिखानेवाले तीर्थंकर पुत्र के जन्म से जन-जन में | सुख-शान्ति हो गई। मोह की मुद्रा कान्तिहीन हो गई। | विद्वान परस्पर वार्ता करते हुए कह रहे थे कि जब भावी भगवान पद्मप्रभ सबको प्रबुद्ध करेंगे तब अधिकांश व्यक्ति मोहनींद से जाग जायेंगे। प्राणियों का जन्मजात विरोध शान्त हो जायेगा। श्री की वृद्धि होगी और कीर्ति तीनों लोकों में फैल जायेगी। उसीसमय इन्द्र द्वारा मायामयी बालक रखकर बालक पद्मप्रभ को मेरु पर्वत पर ले जाकर क्षीर सागर के जल से उनका जन्माभिषेक किया। हर्ष के साथ पद्मप्रभ बालक को वापिस लाकर माँ की गोद में रख नृत्य किया और स्वर्ग को प्रस्थान किया। पद्मप्रभ के शरीर की जैसी सुन्दरता थी, वैसी सुन्दरता न तो कामदेव में थी और न किसी अन्य मनुष्यों में थी। वे कामदेव से भी सुन्दर थे उनमें अवर्णनीय और अनुपम गुण थे, जिनका न तो वाणी से वर्णन | किया जा सकता था और न किसी से उनकी उपमा दी जा सकती थी। जब सुमतिनाथ भगवान की तीर्थं परम्परा के ९० हजार करोड़ सागर बीत गये तब भगवान पद्मप्रभ उत्पन्न हुए थे। उनकी आयु तीन लाख पूर्व की थी। वे देवें द्वारा पूज्य थे। उनकी आयु का जब एक चौथाई भाग बीत गया, तब उन्होंने एक छत्र राज्य प्राप्त किया। उनका वह राज्य वंश परम्परा से उन्हें सहज प्राप्त हुआ था। उन्हें लड़ाई करके या दूसरे राजाओं को पराजित करके राज्य प्राप्त करना अभीष्ट ही नहीं था। जब राजा पद्मप्रभ को राज्यपद पर आसीन किया गया, तब समस्त प्रजा को ऐसा हर्ष हुआ मानों उन्हें ही राज्य मिला है। उनके राज्यशासन काल में प्रजा को ईति-भीति आदि किसी भी प्रकार का भय नहीं था। दरिद्रता तो पता नहीं कहाँ भाग गई थी ? सबप्रकार से मंगल ही मंगल प्रगट हो गये थे। दातारों को याचक मिलते ही नहीं थे। वे किसे दान दें? यही एक समस्या थी। सम्पूर्ण राज्य समृद्ध था। TERNER
SR No.008375
Book TitleSalaka Purush Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year2003
Total Pages384
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size1 MB
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