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________________ REFFEE IFE 19 ७. नन्दिमित्र बलभद्र, दत्त नारायण एवं बलीन्द्र प्रतिनारायण मल्लिनाथ तीर्थंकर के तीर्थकाल में नन्दिमित्र नामक सातवें बलभद्र और दत्त नामक नारायण हुए। वे | तीसरे पूर्वभव में अयोध्या नगर के राजपुत्र थे। वे दोनों पिता के लिए प्रिय नहीं थे। इसकारण पिता ने उन्हें छोड़कर स्नेह वश अपने छोटे भाई के लिए युवराज पद दे दिया। इस घटना से वे दोनों भाई संसार से विरक्त हो गये। उन्होंने मुनि दीक्षा धारण कर ली। मरण कर सौधर्म स्वर्ग में देव हुए। वहाँ से चयकर वनारस के राजा इक्ष्वाकुवंश के शिरोमणि राजा अग्निशिख के प्रिय पुत्र हुए। नन्दिमित्र की माँ अपराजित और दत्त की माँ केशवती थी। नन्दिमित्र बड़ा और दत्त छोटा था। | तीसरे पूर्वभव का राजमंत्री संसार सागर में परिभ्रमण कर क्रम से विजयार्द्ध पर्वत पर स्थित मन्दरपुर | नगर का स्वामी बलीन्द्र नामक विद्याधर राजा हुआ। एक दिन बाधा डालनेवाले उस प्रतिनारायण बलीन्द्र ने अहंकारवश बलभद्र नन्दिमित्र और नारायणदत्त के पास सूचना भेजी कि तुम दोनों के पास जो गजराज है, वह हमारे योग्य है, अत: हमें तुरन्त भेजो। उत्तर में दोनों भाइयों ने गंधगज नामक हाथी भेजने के बदले में अपने लिए उससे उसकी पुत्रियों की | माँग की। इससे प्रतिनारायण बलीन्द्र अति कुपित हुआ। वह उन दोनों के साथ युद्ध करने को तैयार हो गया। उन दोनों की सेनाओं का परस्पर में भयंकर युद्ध हुआ। अन्त में बलीन्द्र मारा गया। चिरकाल तक नन्दिमित्र और दत्त ने राज्य किया। दत्त अति आसक्ति से मरकर पाँचवें नरक गया और उसके वियोग से नन्दिमित्र को वैराग्य हो गया। उन्होंने दीक्षा धारण कर ली। आत्मा के अन्तर्मुखी पुरुषार्थ से कुछ दिन में ही घातिया कर्मों का नाश कर केवलज्ञानी होकर मोक्ष प्राप्त किया। जो पहले अयोध्या नगर में प्रसिद्ध राजपुत्र हुए थे, फिर दीक्षा लेकर आयु के अन्त में सौधर्म स्वर्ग | में देव हुए और वहाँ से च्युत होकर जो बनारस नगर में इक्ष्वाकुवंश के शिरोमणि नन्दिमित्र और | २५ 8 EFFFFFFFFFF
SR No.008375
Book TitleSalaka Purush Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year2003
Total Pages384
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size1 MB
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