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________________ (३६४ श ला का पु रु pm. IFF ष उ त्त ४. सुप्रभ बलभद्र, पुरुषोत्तम नारायण एवं मधुसूदन प्रतिनारायण भरतक्षेत्र के पोदनपुर नगर में राजा वसुषेण राज्य करते थे । उनकी ५०० रानियों में प्रमुख रानी का नाम | नन्दा था । नन्दा अतिशय रूपवान एवं गुणवान थी । मलयदेश के राजा चण्ड शासन और वसुषेण में परस्पर मित्रता थी । इसकारण वह वसुषेण से मिलने पोदनपुर आया । वहाँ नन्दा को देखकर वह उस पर इतना अधिक मोहित हो गया कि नीति-अनीति का विचार-विवेक किए बिना ही येन-केन प्रकारेण उसका अपहरण करके ले गया। इससे राजा वसुषेण बहुत दुःखी हुआ । परन्तु उसे तत्त्वज्ञान था, वह पुण्य-पाप और वस्तुस्वरूप से भलीभांति सुपरिचित था । अतः वह शान्त होकर श्रेय नामक गणधर के पास दीक्षित हो गया । मरण कर फलस्वरूप बारहवें स्वर्ग में देव हुआ । रा उसीसमय विदेहक्षेत्र के एक महाबल राजा थे, जो अत्यन्त धर्मात्मा थे, एक दिन उसने संसार, शरीर र्द्ध और भोगों से विरक्त होकर अपने पुत्र को राज्य सौंपकर दीक्षा लेकर घोर तप किया और बाह्य संन्यास मरण कर सहस्रार स्वर्ग में ही इन्द्र हुआ तथा वहाँ से चयकर वह महाराजा महाबल का जीव द्वारावती नगी के स्वामी राजा सोमप्रभ की पत्नी जयावती के सुप्रभ नामक चौथे बलभद्र हुए। उसी राजा की सीता नाम की रानी से वसुषेण का जीव पुरुषोत्तम नामक नारायण हुए। वसुषेण का मित्र चन्डशासन अनेक भवों में जन्म-मरण के दुःख भोगता हुआ वाराणसी नगरी का स्वामी मधुसूदन प्रतिनारायण हुआ। वह अत्यन्त तेजस्वी और बलवान था । उसने नारद से बलभद्र और | नारायण का वैभव सुनकर उनके पास खबर भेजी कि 'कर' के रूप में (टेक्स में) तुम मेरे लिए हाथी और | रत्नों की भेंट भेजो। यह सुनकर पुरुषोत्तम क्षुभित हो गया । बलभद्र सुप्रभ भी क्रोधित हुआ। दोनों भाइयों ने नारद को ऊँचे स्वर में उत्तर दिया, जिसे सुनकर मधुसूदन भी कुपित हुआ और वह बलभद्र व नारायण से युद्ध करने को तत्पर हो गया, युद्ध हुआ और उसमें मधुसूदन मरकर छठवें नरक गया। पुरुषोत्तम भी आयु ब ल भ द्र ना रा य ण प्र ति ना य ण पर्व २५
SR No.008375
Book TitleSalaka Purush Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year2003
Total Pages384
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size1 MB
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