SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 349
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ EFFFFF Tv जब परलोक ही नहीं है तो तप का फल कौन भोगेगा ? इसलिए यह तप करने का आग्रह छोड़ो और निराकुल होकर राज्य करो। इसके सिवाय दूसरी बात यह है कि यदि किसी तरह जीव का अस्तित्व | मान भी लिया जाय तो इस कुमारावस्था में जबकि आप अत्यन्त सुकुमार हैं, जिसे प्रौढ़ मनुष्य भी नहीं कर सकते ऐसे कठिन तप को किसप्रकार सहन कर सकेंगे?' इसप्रकार शून्यवादी नास्तिक मंत्री ने कहा। ___ यह सुनकर चक्रवर्ती कहने लगे कि “इस संसार में जो पंचभूतों का समूह दिखाई देता है वह स्पर्श, रस, गन्ध और वर्णयुक्त होने के कारण पुद्गलात्मक है। मैं सुखी हूँ, मैं दुःखी हूँ इत्यादि के | द्वारा जिसका वेदन होता है, वह चैतन्य गुणयुक्त जीव नाम का पदार्थ विद्यमान है इसका स्वसंवेदन से अनुभव होता है और बुद्धिपूर्वक क्रिया देखी जाती है। इस हेतु से अन्य पुरुषों के शरीर में भी आत्मा है, यह अनुमान से जाना जाता है। इसीलिए आत्मा नाम का पृथक् पदार्थ है। साथ ही परलोक का अस्तित्व भी है, क्योंकि अतीत जन्म का स्मरण देखा जाता है। इत्यादि युक्तिवाद के द्वारा चक्रवर्ती ने उस शून्यवादी मंत्री को अस्तित्व का अच्छी तरह श्रद्धान कराया, परिवार को विदा किया और अपने पुत्र के लिए राज्य सौंपकर समाधिगुप्त नामक जिनराज के पास सुकेतु आदि विद्याधर राजाओं के साथ जिनदीक्षा धारण कर ली। उन्होंने अनुक्रम से आगे-आगे होनेवाले विशुद्धि रूप परिणामों की पराकाष्ठा को पाकर घातिया कर्मों का क्षय किया, जिससे वे नव केवल लब्धियों के स्वामी हो गये। जब अन्तिम समय आया तब अघातिया कर्मों के क्षय हो जाने से निर्वाण पद को प्राप्त हुए। __जो पहले प्रजापाल नाम का राजा हुआ था, फिर तपश्चरण कर अच्युत स्वर्ग का इन्द्र हुआ। तदनन्तर || समस्त भरत क्षेत्र के स्वामी पद्म नाम के चक्रवर्ती हुए, फिर निर्ग्रन्थ मुनि बनकर परमपद को प्राप्त हुए, ऐसे वे सिद्ध परमात्मा हम सबके लिए भी सत्पथप्रदर्शक बनें। 8 | EF २४
SR No.008375
Book TitleSalaka Purush Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year2003
Total Pages384
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size1 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy