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________________ ३४७ जो पूर्व तीसरे भव में राजा सिंहरथ थे, फिर विशिष्ट तपश्चरण कर सर्वार्थसिद्धि में अहमिन्द्र हुए, वहाँ से चयकर चक्रवर्ती और तीर्थंकर के महान पदों को प्राप्त किया - ऐसे कुन्थुनाथ स्वामी हम सबका कल्याण करें। ७. अरनाथ | तीर्थंकर, कामदेव होने के साथ अरनाथ सातवें चक्रवर्ती भी थे। अरनाथ स्वामी तीसरे पूर्वभव में धनपति | नाम के राजा थे। राजा धनपति अर्हतनंदन तीर्थंकर की दिव्यध्वनि सुनकर संसार से विरक्त हो गये। मुनिराज की भूमिका में आत्मसाधना करते हुए सोलहकारण भावनायें भाकर तीर्थंकर प्रकृति का बन्ध तो किया ही है। साथ ही चक्रवर्तित्व पद प्राप्त करने का सातिशय पुण्य भी प्राप्त किया। ॥ समाधिमरण पूर्वक देह का त्याग कर जयन्त नामक अनुत्तर विमान में अहमिन्द्र हुए। वहाँ से चय कर अठारहवें तीर्थंकर अरनाथ के रूप में अवतरित हुए। तीर्थंकर प्रकृति के साथ बंधे सातिशय पुण्य के फल में गर्भ एवं जन्म कल्याणक की प्रक्रिया पूर्वोक्तानुसार सम्पन्न हुई। तत्पश्चात् वे इक्कीस हजार वर्ष तक मण्डलेश्वर राजा के रूप में शासन करते रहे। आयुधशाला में चक्ररत्न के प्रगट हो जाने पर वह दिग्विजय के लिए निकले और सम्पूर्ण भरत क्षेत्र को जीतकर चक्रवर्ती सम्राट के पद को प्राप्त हुए। उन्हें नवनिधियाँ और चौदह रत्नों की प्राप्ति हुई। चक्रवर्ती के योग्य सम्पूर्ण वैभव उन्हें प्राप्त था। इसप्रकार भोगोपभोग रूप सुख का अनुभव करते हुए आयु का तीसरा भाग अर्थात् जब अट्ठाईस हजार वर्ष की आयु शेष थी तब किसी एक दिन उन्हें शरदऋतु के मेघों का अकस्मात् विलय देखकर वैराग्य हो गया। वैराग्य को प्राप्त कर चक्रवर्ती अरनाथ ने जीर्ण तृण के समान राज्य लक्ष्मी को समझते हुए अपने अरविन्द नामक पुत्र के लिए राज्य-भार सौंप दिया और मगसिर शुक्ला दशमी के दिन सहेतुक वन में तेला का नियम लेकर एक हजार राजाओं के साथ दीक्षा धारण कर ली। मुनि की भूमिका में आत्मसाधना करते हुए उन्होंने केवलज्ञान प्राप्त किया। तीर्थंकर पुण्य प्रकृति के उदय से प्राप्त समोसरण की रचना एवं दिव्यध्वनि आदि के द्वारा धर्म का प्रचार-प्रसार किया। अन्त में उन्होंने योग निरोध कर सिद्धपद प्राप्त कर लिया। लREP WEB २४
SR No.008375
Book TitleSalaka Purush Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year2003
Total Pages384
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size1 MB
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