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________________ ३१९ श वे महावीर तो अभी भी हैं; किन्तु अपने अनन्तवीर्य गुण के कारण महावीर हैं। सांप और मदोन्मत्त | हाथियों को काबू में करने के कारण नहीं । सांपों और हाथियों को तो सपेरे और महावत भी काबू में कर लेते हैं, इसमें अनन्तबल के धनी महावीर से जोड़ना उनकी महावीरता का मूल्यांकन कम करना ही होगा । ला का पु रु pm IF 59 ष उ त्त रा र्द्ध बालकपन से निरन्तर वद्धिंगत वर्द्धमान, सन्मतिदाता सन्मति देव तथा मदोन्मत्त हाथियों को वश में करनेवाले महावीर आदि सामयिक घटनाओं से प्राप्त सभी नामों के अर्थ को निरर्थक करनेवाले चौबीसवें | तीर्थंकर सर्वज्ञ भगवान महावीर का नाम वस्तुतः अपने ज्ञान-दर्शन- वीर्य आदि गुणों का पूर्ण विकास करने के कारण तथा क्रोध - मान-माया-लोभ और मोह मत्सर का मर्दन करने के कारण अनन्तीवीर्य प्रगट करने के कारण सार्थक हैं। ये सार्थक नाम पाठकों को महावीर बनने की प्रेरणा दें। जो उन वीतरागीदेव के पवित्र गुणों का स्मरण करता है, उसका मलिन मन स्वत: निर्मल हो जाता है, उसके पापरूप परिणाम स्वत: पुण्य व पवित्रता में पलट जाते हैं। अशुभ भावों से बचना और मन का निर्मल हो जाना ही जिनपूजा का, जिनेन्द्रभक्ति का सच्चा फल है। ज्ञानी धर्मात्मा लौकिक फल की प्राप्ति के लिए पूजन-भक्ति नहीं करते। वे तो जिनेन्द्रदेव की मूर्ति के माध्यम से निज परमात्मस्वभाव को जानकर, पहिचानकर, उसी में जम जाना, रम जाना चाहते हैं। ऐसी भावना से ही एक न एक दिन भक्त स्वयं भगवान बन जाता है। - इन भावों का फल क्या होगा, पृष्ठ-६ ती र्थं क र म हा वी र पर्व
SR No.008375
Book TitleSalaka Purush Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year2003
Total Pages384
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size1 MB
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