SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 252
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २५२ श | महारानी का नाम सोमादेवी था । सोमादेवी महारानी मातृत्व सुख से दीर्घकाल तक वंचित रहने से दुःखी थीं। महाराज सुमित्र ने समझाया - हे देवी! तुम धैर्य धारण करो । 'जो कार्य मात्र भाग्य के आधीन है, होनहार पर निर्भर है, उसकी चिन्ता करना व्यर्थ है ।' पति के समझाने पर होनहार का विचार कर सोमादेवी शान्त हुई, धैर्य धारण कर अपने उपयोग को धार्मिक कार्यों में बिताने लगी, स्वाध्याय करके अपनी तत्त्वश्रद्धा को सुदृढ़ करके प्रसन्न रहने का प्रयास करने लगी । ES FETUS ला का पु रु ष उ त्त रा र्द्ध इतने में एक आश्चर्यजनक घटना हुई, जो इसप्रकार थी - महाराज सुमित्र तथा सोमादेवी राजमहल में बैठे-बैठे पुत्र प्राप्ति संबंधी वार्ता कर रहे थे कि अचानक आकाश से रत्नों की वर्षा होने लगी। 'यह क्या हुआ' ऐसे आश्चर्य से जब उन्होंने आकाश की ओर देखा तो आकाश से उतरकर देवियों ने उन्हें वन्दन कर कहा - "हे माता! हम दिक्कुमारी देवियाँ हैं। छह माह बाद स्वर्ग से बीसवें तीर्थंकर का जीव आपकी कूंख में अवतरित होनेवाला है; इसलिए हम इन्द्र की आज्ञा से आपकी सेवा में आये हैं और यह रत्नवृष्टि उन्हीं के स्वागत में हो रही है। देवियों से यह बात सुनकर राजा-रानी हर्षित हुए। छह माह बाद सोमादेवी ने सोलह स्वप्न देखे और | उसीसमय तीर्थंकर होनेवाला जीव उनकी कुक्षि में अवतरित हुआ । इन्द्रों ने गर्भकल्याणक महोत्सव मनाया । सवा नौ माह पश्चात वैशाख कृष्णा दशमी के दिन सोमामाता ने जगत में श्रेष्ठ पुत्ररत्न को जन्म दिया । तीनों लोकों में आनन्द हो गया। इन्द्रों ने राजगृही में आकर उनका जन्मोत्सव किया । इन्द्र ने बाल तीर्थंकर का नाम मुनिसुव्रतनाथ रखा। ये मल्लिनाथ से ५४ लाख वर्ष बाद हुए। इनकी आयु तीस हजार वर्ष थी । शरीर का रंग मोर कंठ के समान नीला था । युवा होने पर अनेक उत्तमोत्तम कन्याओं के साथ उनका विवाह हुआ। उनके लिए स्वर्गलोक से इन्द्र वस्त्राभूषण आदि भेजते थे । साढ़े सात हजार वर्ष की आयु में उनका राजगृही के सिंहासन पर राज्याभिषेक हुआ, उन्होंने पन्द्रह हजार वर्ष तक राज्य किया । उनकी के जब साढ़े पच्चीस हजार वर्ष बीत गये तब वैशाख कृष्ण दशमीं, उनके जन्मदिवस के आयु । दिन ही उन्हें वन में स्वतंत्र विचरनेवाले हाथी को बंधन में देखकर वैराग्य हो गया। उन्होंने सोचा हाथी जैसे ती र्थं क र 9 ( 7 ) a 1 सु व्र त ना थ पर्व १९
SR No.008375
Book TitleSalaka Purush Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year2003
Total Pages384
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size1 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy