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________________ BREFFFFFFY लगे; उन्होंने आहार-जल का सर्वथा त्याग कर दिया; वे अपने शरीर की किसीप्रकार की सेवा सुश्रुषा करते नहीं थे तथा दूसरों के पास कराते भी नहीं थे। महान शूरवीरतापूर्वक वे चार आराधना में तत्पर थे। परिणामों | की विशुद्धि बढ़ते-बढ़ते वे शुक्लध्यान में आरूढ़ हुए और उपशमभाव से गुणस्थान श्रेणी चढ़ने लगे। रागद्वेष-मोह का उपशम करके वे ग्यारहवें वीतरागी गुणस्थान में पहुँचे और समाधिपूर्वक देह को त्यागकर संसार के सर्वोत्कृष्ट स्थान ‘सर्वार्थसिद्धि में उत्पन्न हुए।' भगवान शान्तिनाथ : पूर्वभव - भगवान शान्तिनाथ और उनके भ्राता दोनों जब सर्वार्थसिद्धि में विराजते थे तब भगवान कुन्थुनाथ का आत्मा भी वहीं सर्वार्थसिद्धि में उत्पन्न हुआ था। एक-दूसरे से अद्भुत| अचिन्त्य चैतन्यचर्चा करते थे। भगवान शान्तिनाथ का वर्तमान भव - माघ का महीना चल रहा था, अचानक ही हस्तिनापुर में राजभवन के प्रागंण में करोड़ों रत्नों की वर्षा होने लगी और छह मास पश्चात् भाद्रपद कृष्णा सप्तमी को | महारानी अचिरादेवी ने अति मंगल सूचक सिंह, हाथी, माला, रत्नराशि आदि सोलह स्वप्न देखे। जिससमय अचिरा माता ने स्वप्न देखे उसीसमय सर्वार्थसिद्धि स्वर्ग से वह अहमिन्द्र शान्तिनाथ के रूप में उनके उदर में अवतरित हुआ। महारानी ने अल्पनिद्रा में देखा कि एक महासुन्दर हाथी उनके मुख में प्रविष्ट हो रहा है। महारानी जाग उठीं; अति हर्षपूर्वक पंचपरमेष्ठी का चिंतन किया। पश्चात् राजसभा में पहुँची और महाराजा से मंगल स्वप्नों की बात कही। अवधिज्ञानी अश्वसेन महाराजा ने जान लिया कि अपने यहाँ त्रिलोकीनाथ तीर्थंकर का आगमन हुआ है। उन्होंने कहा - "हे देवी! सोलहवें तीर्थंकर का जीव तुम्हारे गर्भ में अवतरित हो चुका है। इतना ही नहीं, वह महान आत्मा पहले चक्रवर्ती होकर इस सारे भरतक्षेत्र पर राज्य करेगा और पश्चात् तीर्थंकर होकर समस्त विश्व में धर्म का साम्राज्य चलायेगा। उसका रूप अद्भुत सुन्दर होगा। वह कामदेव, चक्रवर्ती एवं तीर्थंकर - ऐसी तीन सर्वोत्तम पदवियों का धारी होगा।" यह सुखद समाचार सुनकर महादेवी अचिरामाता के हर्ष का पार नहीं रहा - माता के मुँह से निकला +ESCREE FB
SR No.008375
Book TitleSalaka Purush Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year2003
Total Pages384
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size1 MB
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