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________________ CREEFFFFy जिनका केवलज्ञान सर्वगत, लोकालोक प्रकाशक है। जिनका दर्शन भव्यजनों को, निज अनुभूति प्रकाशक है।। जिनकी दिव्यध्वनि भविजन को, स्व-पर भेद परिचायक है। उन जिनवर संभवनाथ प्रभु को, नमन हमारा शत-शत है।। जम्बूद्वीप के विदेह क्षेत्र में सीता नदी के तट पर एक कच्छ नाम का देश है। उसका राजा विमलवाहन था, जिसका निकट भविष्य में मोक्ष होनेवाला था। अत: वह शीघ्र ही दुःखद संसार से विरक्त हो गया। वह विचार करने लगा कि "इस संसार में वैराग्य के मुख्यरूप से तीन कारण हैं - १. प्रथम तो यह कि जीव निरन्तर यमराज (मृत्यु) के मुख में बैठा रहने पर भी जीवित रहने की सोचता है, तदनुसार निष्फल प्रयत्न भी करता है, तीव्र मोहवश मृत्यु को जीतने का प्रयत्न नहीं करता, अजर-अमर होने की दिशा में बिल्कुल भी नहीं सोचता । इसलिए इस अज्ञान अंधकार को धिक्कार है। मैं इस अंधेरे से ऊब चुका हूँ। अत: मैं तो शीघ्र सम्यग्ज्ञान ज्योति के प्रकाश में जाऊँगा।" २. वैराग्य का दूसरा कारण यह है कि अनन्तकाल की अपेक्षा अत्यन्त अल्प इस जीव की आयु है; | परन्तु यह अज्ञानी जीव उसे ही शरण मानकर बैठा है। आश्चर्य यह है कि वे आयु के क्षण ही प्रतिपल यमराज (मौत) के समीप पहुँचा रहे हैं, फिर भी यह अपने को अमर माने बैठा है। काल की गति स्वयं अशरण स्वरूप है, वे दूसरों को शरण कैसे देंगे? ३. वैराग्य का तीसरा कारण यह है कि ये जीव अभिलाषारूप ज्वाला में जलकर विषयभोगरूपी किसी || || सूखी नदी के तट पर खड़े पुष्प पत्र एवं फलविहीन वृक्षों की छाया का आश्रय खोजते-फिरते हैं, उनकी २ का
SR No.008375
Book TitleSalaka Purush Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year2003
Total Pages384
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size1 MB
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