________________
REFFEE IFE 19
८. सद्भावरूप निमित्त : तरंगित दशा में वायु का चलना । तत्त्वोपलब्धि में सत्संग का मिलना। प्रश्न - निमित्तों को उपचरित कारण या आरोपित कारण क्यों कहा?
उत्तर - जिनसे कार्य सम्पन्न तो न हो; किन्तु जिनकी उपस्थिति या सन्निकटता हो, उन्हें उपचरित या आरोपित कारण कहा जाता है।
उदाहरण - जैसे वर के साथ घोड़े पर बैठे बालक को अनवर कहते हैं। यद्यपि उसमें वरपना किंचित् भी नहीं है, उसे दुलहन नहीं मिलती; तथापि सहचारी या सन्निकट होने से उसे अनवर कहा जाता है और मात्र सम्मान मिलता है। | हाँ, उस बालक को अनवर नाम और सम्मान मुफ्त में नहीं मिला। वह अपने सीने पर गोली झेलने जैसा खतरा झेलता है। पहले जब स्वयंवर होते थे। बारात यानि वरयात्रा निकलती थी, उनमें अनवर वर की ही पोशाक में रहता था, जो वर की सुरक्षा करता था। यदि कोई सामने से आक्रमण करे तो पहले अनवर झेलता था। इसीप्रकार निमित्तों को भी निन्दा-प्रशंसा के प्रहार झेलने एवं सहने पड़ते हैं।
प्रधानमंत्री-राष्ट्रपति की गाड़ी के समान ही दो गाड़ी आगे, दो गाड़ी पीछे रहती हैं; क्योंकि वे | अंगरक्षक हैं।
प्रश्न - उपादान कारण किसे कहते हैं ?
उत्तर - जो द्रव्य स्वयं कार्यरूप परिणमित हो अथवा जिस पदार्थ में कार्य निष्पन्न हो उसे उपादान कारण कहते हैं। पदार्थ की निज सहज शक्ति या मूल स्वभाव ध्रुव उपादान कारण है तथा द्रव्यों में अनादिकाल से जो पर्यायों का परिणमन हो रहा है, उसमें अनन्तर पूर्वक्षणवर्ती पर्याय एवं कार्योत्पत्ति के समय की पर्यायगत योग्यता क्षणिक उपादान कारण है। यह पर्यायगत योग्यता ही कार्य का समर्थ कारण है।
प्रश्न - उपादान कारण कितने प्रकार के होते हैं ?
4
Fe