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________________ CREEFFFFy ओला घोलबड़ा निशिभोजन, बहु बीजा बेंगन संधान । बड़ पीपल ऊमर कठूमर, पाकर फल जो होंय अजान ।। कंदमूल माटी विष आमिष, मधु माखन अरु मदिरापान । फल अतितुच्छ तुषार चलित रस, यो जिनमत बाईस बखान ।। उपर्युक्त २२ अभक्ष्यों में ओला (बर्फ-अगालित जल), घोलबड़ा (दहीबड़ा-द्विदल), निशिभोजन, बड़, पीपल, ऊमर, पाकर और कठूमर (पाँचों उदुम्बर फल), आमिष (मांस), मधु (शहद), मदिरापान - इन ११ का कथन तो पीछे मूलगुणों में कर ही आये हैं, ये तो अभक्ष्य हैं ही। इनके अतिरिक्त बहुबीजा, | बेंगन, संधान (अचार-मुरब्बा), मक्खन, अनजान फल (जिसे जानते न हों), कंद (आलू, अरबी, प्याज, लहसुन), मूल (गाजर, मूली), मिट्टी, विष, अमर्यादित मक्खन, तुच्छफल (जिसका बढ़ना चालू है, ऐसे अपरिपक्व फल सप्रतिष्ठित फल) तुषार, चलितरस (सड़े-गले पदार्थ, जिनका स्वाद बिगड़ने लगा हो) इनमें भी अनंत त्रसजीव होते हैं; अत: ये भी अभक्ष्य हैं, त्याज्य हैं, खाने योग्य नहीं हैं। अहिंसा प्रेमियों | को अपने परिणाम विशुद्धि और पाप से बचने के लिए यथाशक्य इन सबका त्याग भी अवश्य करना चाहिए। प्रश्न - द्विदल अभक्ष्य का स्वरूप क्या है ? और वे कौन-कौन से हैं। समाधान - हे भव्य ! चना, उड़द, मूंग, मसूर, अरहर आदि सभी प्रकार के दो दलवाले अनाजों को दही, छाछ (मट्ठा) में मिलाकर बनाये गये कड़ी, रायता, दहीबड़ा आदि को खाना द्विदल अभक्ष्य है। यद्यपि उपर्युक्त दो दल वाले सभी अनाज भक्ष्य हैं, खाने योग्य हैं और मर्यादित दही व छाछ भी भक्ष्य है, तथापि इनको मिलाकर खाने से यह अभक्ष्य हो जाते हैं; क्योंकि दालों और दही छांछ के मिश्रण से बने पदार्थों का लार से संयोग होने पर तत्काल त्रसजीव पैदा हो जाते हैं। अत: इनके खाने में मांस का आंशिक दोष (अतिचार) है। __यह बात युक्ति, आगम और अनुभव से सिद्ध होती है; परन्तु उपर्युक्त खाद्य पदार्थों के बनाने की विधि को लेकर दो पक्ष प्रचलित हैं, आगम में भी दोनों तरह के उल्लेख मिल जाते हैं, अत: यह अपने स्व- ॥ १२ 48 p_F E FB
SR No.008375
Book TitleSalaka Purush Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year2003
Total Pages384
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size1 MB
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