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________________ REFFFFFFY १५० किया। निराश करने पर भी आपने अकेले ही अपने दिव्यरूप-गुणों द्वारा माता-पिता को ऐसी तृप्ति दी || कि उन्हें कोई खेद नहीं हुआ। 'विषय-भोगों के बिना ही सुख और आनन्द होता है' - वह आपने अपने जीवन द्वारा जगत को बतला दिया। चम्पानगरी के युवराज के रूप में आप अठारह लाख वर्ष तक रहे, तथापि चैतन्यवैभव से रंगा हुआ आपका चित्त राजवैभव से नहीं रंगा था, उससे अलिप्त ही रहता था। अपने || श्रीमुख से अनेकप्रकार की धर्मचर्चा द्वारा तथा अपनी दिव्यमुद्रा के दर्शनों से माता-पिता एवं प्रजाजनों में आपने सर्वत्र आनन्द प्रसारित किया।" तत्पश्चात् एकबार फाल्गुन कृष्णा चतुर्दशी आई। वह तीर्थंकर भगवान वासुपूज्य का जन्म का मंगल दिवस था। प्रजाजनों ने जन्मोत्सव खूब धूमधाम से मनाया। स्वर्गलोक से अनेक पूर्वपरिचित देवमित्र भी जन्मोत्सव में आये । उससमय चम्पानगरी का श्रृंगार वास्तव में अद्भुत था। लोग नृत्य-गान द्वारा अपना हर्षोल्लास व्यक्त कर रहे थे। प्रभु सब ठाठ-बाट देख रहे थे, परन्तु उनका चित्त कहीं अन्तर की गइराई में उतर रहा था। इतने में उस शोभा को देखते-देखते अचानक पूर्वभव में इन्द्रलोक में देखी हुई अद्भुत शोभा का स्मरण हुआ; जातिस्मरण ज्ञान में अपने पूर्वभव का इन्द्रभव तथा उससे पहले के पद्मोत्तर राजा का भव उनको साक्षात् जैसा ही दिखाई दिया। तुरन्त ही आपका चित्त संसार से विरक्त हुआ कि 'अरे, कहाँ गये स्वर्गलोक के वे दिव्यवैभव ! और कहाँ गया वह दिव्य शरीर ! इन क्षणभंगुर विषयों तथा शरीर में आसक्ति कैसी ? निर्बुद्धि जीव व्यर्थ ही विषयों में आसक्त होकर संसार में भ्रमण करते हैं। शरीर भले ही चाहे कितना सुन्दर हो, निरोगी हो, शोभायमान हो, असंख्यात वर्ष की आकुलता हो, तथापि चैतन्य को बन्धन किसलिए करना ? उन्होंने सोचा - "मैं शरीर और संयोगों के मोह बंधन को तोड़कर अपने आत्मा को इस भव-भ्रमण से मुक्त करूँगा। मेरी चेतना अब जाग्रत हो उठी है, इसलिए आज ही संसार को त्यागकर मोक्ष की साधना के हित मैं मुनिदशा अंगीकार करूँगा।" ऐसे उत्तम वैराग्य विचारों द्वारा प्रभु ने तो जन्मदिन को दीक्षा का दिन बना दिया, हर्ष के अवसर को
SR No.008375
Book TitleSalaka Purush Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year2003
Total Pages384
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size1 MB
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