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________________ श १२४ || हुआ था । उसके जन्म लेने के पूर्व पल्य के चौथाई भाग तक जिनधर्म का विच्छेद रहा । इसकारण ये धर्म लुप्त हो गया । शीतलनाथस्वामी के शरीर की कान्ति सुवर्ण के समान थी । आयु एक लाख पूर्व की थी और शरीर नब्बे धनुष ऊँचा था । जब आयु के चतुर्थभाग प्रमाण कुमार काल व्यतीत हो गया तब उन्होंने अपने पिता का राज्य पद संभाला तथा प्रधानसिद्धि प्राप्तकर प्रजा का पालन किया। महाप्रतापी तीर्थंकर राजा शीतलनाथ के राज्य में प्रजा सर्वप्रकार से सुख सम्पन्न एवं धर्मपरायण थी । पचास हजार पूर्व तक | उन्होंने सफलता पूर्वक प्रजा को प्रसन्न एवं समृद्धि से सम्पन्न रखते हुए राज्य संचालन किया । ला का पु रु ष उ त्त रा र्द्ध जब उनका संसार में रहने का काल मात्र पच्चीस हजार पूर्व शेष रहा था तो उन्होंने भव के अन्त करने की तैयारी की। इसीसमय एक वैराग्यप्रेरक घटना घटी, जो इसप्रकार है - महाराजा शीतलनाथ एक दिन वनविहार करने गये। वहाँ रंग-बिरंगे पुष्पों पर पड़े हुए ओस बिन्दु सच्चे | मोतियों जैसे चमक रहे थे । उनकी अद्भुत शोभा निहारते हुए शीतनाथ वन में विहार कर रहे थे। कुछ ही समय पश्चात् सूर्य की किरणों से वे ओसबिन्दु सूख गए। प्रभात का सौन्दर्य भी अब पहले जैसा नहीं रहा । | यह देखकर शीतलनाथ को वैराग्य हो गया । वे विचारते हैं कि “अहो ! ये मनुष्य जीवन और यह ज्ञानियों के संयोग, यह प्राकृतिक सौन्दर्य, ये इन्द्रियों के भोग सब ओस की बूँदों की भांति क्षणभंगुर हैं । जीव के ये हर्ष-विषाद के विभावभाव भी क्षण-क्षण में पलट जाते हैं । इन पर पदार्थों या परभावों | के भरोसे रहना योग्य नहीं है। अपने स्थिर और असंयोगी आत्मतत्त्व का ही आलम्बन सारभूत है। शेष सब संयोग असार हैं, पुण्य के फलरूप विषयों में यदि सुख होता तो मुझे पुण्य की पराकाष्ठा रूप उत्कृष्ट सुखसामग्री प्राप्त है, फिर भी मेरा मन संतुष्ट क्यों नहीं है ? ठीक ही तो कहा है - “जो संसार विषै सुख होता, तीर्थंकर क्यों त्यागें । काहे को शिव साधन करते, संयम सौं अनुरागे ।। मेरे पहले भी अनादि काल से असंख्य अनन्त तीर्थंकर पद प्राप्त करके उन पदों का भी त्याग करके ती र्थं क र शी त ल ना थ पर्व
SR No.008375
Book TitleSalaka Purush Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year2003
Total Pages384
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size1 MB
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