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________________ लौकिक कार्यों की सिद्धि हो जाने से अलौकिक महामंत्र की महिमा कैसे बढ़ सकती है ? अरे भाई! लौकिक कार्यों की सिद्धि तो पुण्य के प्रताप से होती है, सीधे मंत्रों के जाप जपने से नहीं। हाँ, यदि निष्कामभाव से मंत्र जपते हुए कषायें अत्यन्त मंद रहें तो पुण्यबंध होता है; पर ज्ञानी उसे भी उपादेय नहीं मानते, उसके || फल में लौकिक कामनायें नहीं करते । लौकिक कामनाओं से तो उल्टा पाप बंध ही होता है; क्योंकि ऐसी कामनायें तो तीव्र कषाय में ही संभव हैं। प्रथमानुयोग में प्रयोजन को ध्यान में रखकर प्रेरणाप्रद कथाएँ ऐसी || होंगी, जिनमें कहा जायेगा कि णमोकार-मंत्र से ये लाभ हुए। जैसे कि - • पहली कथा में स्पष्ट उल्लेख होगा कि सुग्रीव के जीव ने बैल की योनि में मरणासन्न दशा में सेठ | से णमोकार मंत्र सुनकर स्वर्ग प्राप्त किया था। .दूसरी कथा में साफ-साफ कहा गया होगा कि चारणऋद्धिधारी ऋषियों के द्वारा प्रबोध को प्राप्त हुआ बंदर महामंत्र णमोकार के प्रभाव से दोनों लोकों में सुख भोगकर केवली पद को प्राप्त हुआ। • तीसरी कथा में चर्चा आयेगी कि राजा विंध्यकीर्ति की पुत्री विजयश्री सुलोचना के द्वारा सुनाये गये मंत्र के प्रभाव से इन्द्राणी हुई • चौथी कथा में यह कहा गया होगा कि वह बकरा, जिसे मरते समय चारुदत्त ने णमोकार मंत्र सुनाया, उससे वह दिव्य शरीरवाला देव हुआ। • पाँचवी कथा में कहा जायेगा कि वे नाग-नागिनी, जिन्हें पार्श्वकुमार ने मरणासन्न दशा में णमोकार मंत्र दिया था, उससे वे धरणेन्द्र पद्मावती हुए। • छठवी कथा में कहा होगा कि कीचड़ में फंसी हुई हथिनी विद्याधर द्वारा दिये गये महामंत्र के प्रभाव से भवान्तर में राजा जनक की पुत्री सीता हुई। • सातवीं कथा में यह कहा होगा कि दृढ़सूर्य चोर शूली पर दुस्सह दुःख से व्याकुल होकर यद्यपि जल पीने की आशा से णमोकार मंत्र का उच्चारण कर रहा था, तब भी उसके प्रभाव से वह देव हुआ।॥८
SR No.008375
Book TitleSalaka Purush Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year2003
Total Pages384
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size1 MB
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