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________________ ९८९ || को एवं अपनी पुत्रियों को भी कभी-कभी बुलाकर उन्हें विपुल सम्पत्ति प्रदान कर उनकी सम्मानपूर्वक | विदाई करते थे । इसप्रकार उनका समय बहुत संतोष के साथ सुखद वातावरण में बीत रहा था। श ला का पु रु ष कैलाश पर्वत पर जिनमन्दिरों का निर्माण, उत्साहपूर्वक उनकी पूजा-प्रतिष्ठा करने के बाद सम्राट भरत अपने हजारों पुत्रों एवं रानियों के साथ सानन्द समय व्यतीत किया था । प्रजा जनों का पालन भी पुत्रवत् किया था । भरतजी के हजारों पुत्रों में सौ पुत्र अनेक शास्त्रों में प्रवीण थे। कई तो संगीत शास्त्र में इतने निपुण थे कि वे जो विभिन्न स्वर गाते थे, उसका प्रभाव, उस कला के प्रेमी पशु-पक्षियों तक भी बहुत गहरा पड़ता था, उसकी ध्वनि से हलचल मच जाती थी । तोता, कोयल, मोर, सर्प तो प्रभावित होते ही, पत्थर के समान कठोर हृदय भी पिघलते थे । जनसाधारण के हृदय प्रभावित होना तो साधारण सी बात थी । - - बाहुबली का तप - पोदनपुर से आये हुए सज्जनों से भरतजी ने यह पूछा कि “हमारे बाहुबली योगीन्द्र | कैसे हैं ?" तब वे कहने लगे कि "स्वामिन्! वे कैलाश पर्वत को छोड़कर गजविपिन नामक घोर अरण्य | में तपश्चर्या कर रहे हैं। जब से उन्होंने दीक्षा ली है तब से वे आहार के लिए नहीं निकले हैं, वृक्ष सूख जायें च p to " - • ऐसी ज्वाला उगलती धूप में खड़े होकर आत्मनिरीक्षण कर रहे हैं। एक बार मिची हुई आंखें पुनः खुली एक दिन की बात है, भरतजी आनंद से महल में विराजे थे। एक दूत ने आकर समाचार दिया कि मुनि कच्छ और महाकच्छ को केवलज्ञान हुआ है। कच्छ और महाकच्छ भरतजी के मामा थे, इसलिए उनको यह समाचार सुनते ही बड़ा हर्ष हुआ। पट्टरानी सुभद्रादेवी हर्ष के मारे नाचने लगी, माता यशस्वी के आनंद की सीमा ही नहीं थी, महल में आनंद ही आनंद छा रहा था । त इतने में ही अनंतवीर्य मुनिराज को भी केवलज्ञान होने का समाचार मिला । अनंतवीर्य भरत के छोटे भाई थे। इसकारण भरतजी का हर्ष द्विगुणित हो गया था। समाचार जो लाया था उसे रत्न-वस्त्रादिक खूब जी | इनाम में दिए गए। इसी का नाम तो है धर्मानुराग । भरतजी के हृदय में वह धर्मानुराग कूट-कूट कर भरा हुआ था । क्र र्ती भ र का वै भ व सर्ग १५
SR No.008374
Book TitleSalaka Purush Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year2004
Total Pages278
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size765 KB
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