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________________ महावीर स्वामी के निकट बैठे हुए गणधरदेव ने श्रेणिक की प्रशंसा करते हुए कहा - "हे राजन् ! तुमने बहुत अच्छी जिज्ञासा प्रगट की। अन्य सभी श्रोता भी यही चाहते हैं; अत: सुनो! तीर्थंकर चक्रवर्ती आदि | पदों के धारक प्रसिद्ध पुरुषों को शलाका पुरुष कहते हैं। तीर्थ का सेवन करनेवाले सत्पुरुष ही वस्तुतः शलाकापुरुष कहलाते हैं । इस युग में त्रेसठ शलाका पुरुष हुए जो इसप्रकार हैं - २४ तीर्थंकर, १२ चक्रवर्ती, ९ नारायण, ९ प्रतिनारायण और ९ बलभद्र । ये ६३ महापुरुष धर्मतीर्थ का सेवन कर अल्पकाल में ही संसार सागर पार हो जाते हैं। इनमें बहुत कुछ तो उसी भव से मुक्त हो जाते हैं और शेष २-३ भवों में मुक्ति प्राप्त कर लेते हैं।" इन ६३ शलाका पुरुषों के सिवाय तीर्थंकरों के माता-पिता ४८, नारद ९, रुद्र ११, कामदेव २४ और कुलकर १४ - इसप्रकार महापुरुषों की संख्या १६९ भी आगम में है, किन्तु इस युग में १६१ महापुरुष ही हुए हैं; क्योंकि इनमें कुछ पुरुष ऐसे भी हैं जो दो-दो, तीन-तीन पदों के धारक हैं; जैसे तीर्थंकरों में कामदेव भी हैं, चक्रवर्ती भी हैं। इस काल में ६० शलाका पुरुष ही हुए हैं। तदनन्तर समवसरण में उपस्थित सभी महर्षियों ने एवं राजा श्रेणिक सहित उपस्थित सभी श्रावकों ने मिलकर अनेक विशेषणों से चार ज्ञान के धारी श्रुतकेवली गौतम गणधर की स्तुति करते हुए गौतम' नाम को सार्थक सिद्ध किया। उन्होंने कहा - "उत्कृष्ट वाणी को गौतम कहते हैं और वह दिव्यध्वनि ही हो सकती है।" इसप्रकार गणधरदेव का गौतम' नाम सार्थक बताया तथा कहा कि - "आपका दूसरा नाम इन्द्रभूति है, जिसका रहस्य यह है कि आपने इन्द्रों द्वारा अर्चारूपी विभूति प्राप्त की, इसलिए आपको इन्द्रभूति भी कहते हैं। हे देव ! आपने अत्यन्त ऊँचे वर्धमानरूप हिमालय से श्रुतज्ञान की गंगा का अवतारण कराया। आप नाना ऋद्धियों के धारक हैं, आपकी स्तुति करने के लिए हमारे पास कोई शब्द ही नहीं है। आज राजा श्रेणिक के साथ हम सब श्रोताओं पर दयादृष्टि रखकर तत्त्वोपदेश दीजिए।" गणधरदेव ने कहा - "हे आयुष्मान भव्यजनो ! मैंने जैसा आगम से-श्रुत से सुना है, उसे मैं कहता हूँ। आप लोग ध्यान से सुनो !"
SR No.008374
Book TitleSalaka Purush Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year2004
Total Pages278
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size765 KB
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