________________ श्री राजगिरिजी का अर्घ्य वसु द्रव्य मिलाये भविमन भाये, प्रभु गुण गाये नृत्य चरण कमल तिनके सुभग, पूजत हों हर्षाय / / 4 / / श्री तिजाराजी का अर्घ्य श्री चन्द्र जिनेशं दुख हर लेतं सब सुख देतं मनहारी। गाऊं गुणमाला जग उजियाला, कीर्ति विशाला सख करी / / भव भव दुखनाशा, शिवमग भासा, चित्त हुलासा सुक्ख कर श्री पंचमहागिरि तिन पर मन्दिर शोभित सुन्दर सुखकारी। जिन बिम्ब सुदर्शन आनन्द बरसत जन्म मृत्यु भम __ श्री महावीरजी का अर्घ्य जल गन्ध सु अक्षत पुष्पर चरुवर जोर करों / दे दीप धूप फल मे लि, आगे अर्घ करों / / चाँदनपुर के महावीर, तेरी छवि प्यारी / प्रभु भव आताप निवार, तुम पद बलिहारी / / श्री पावागिरिजी का अर्घ्य स्वर्णभद्र आदि मुनिवर पावागिरी शिखर मजार / चेलना नदी तीर के पास मुक्ति गये वन्दो नितपास / / श्री जम्बूद्वीप हस्तिनापुरजी का अर्घ्य शुभ गन्ध वारि अखण्ड अक्षत पुष्प नेवज धूपजी। वरदीप उत्तम फल मिलाय बनाय अर्घ अनूपजो / / जिननाथ चरणाम्बुज सदा भवि जजों जित हरषायजी। भर थार जटित 'जवाहर निशदिन शुद्ध मनवचकायजी / / श्री पद्मपुराजी (बाड़ा) का अर्घ्य जल चंदन अक्षत पुष्प नेवज आदि मिला। मैं अष्ट द्रव्य से पूज पाऊँ सिद्ध शिला / / बाड़ा के पद्म जिनेश मंगल रूप सही / काटो सब क्लेश महेश मेरी अर्ज यही / / जिनेन्द्र अर्चना जिनेन्द्र अर्चना 10000 172