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हरिवंश कथा
( आचार्य जिनसेन के हरिवंश पुराण पर आधारित)
मंगलाचरण ( कुण्डलिया )
नमन नेमि जिनेन्द्र को, नमन नाथ चौबीस । नमन नगन मुनिनाथ को, नमन सिद्ध पद ईश ।। प्रमुख पात्रों का परिचय
ग्रन्थ की विषयवस्तु सहज ग्राह्य होने हेतु प्रमुख पात्रों का संक्षिप्त परिचय यहाँ दिया गया है। १. तीर्थंकर भगवान नेमिनाथ
यादव कुल में मूलत: हरिवंशीय महाराजा सौरी हुए। उनसे अन्धकवृष्णि और भोगवृष्णि ये दो पुत्र हुए। उनमें राजा अंधकवृष्णि के दस पुत्र थे, जिनमें बाल तीर्थंकर नेमिकुमार के पिता, सौरीपुर के राजा समुद्रविजय सबसे बड़े और श्रीकृष्ण के पिता राजा वसुदेव सबसे छोटे भाई थे । दस भाइयों में ये दोनों ही सर्वाधिक प्रभावशाली, धीर-वीर और सर्व गुणसम्पन्न पुराण- प्रसिद्ध पुरुष हुए। राजा समुद्रविजय की रानी शिवा देवी | से वैशाख शुक्ला त्रयोदशी के दिन शुभ घड़ी में नेमिकुमार का जन्म हुआ ।
तीर्थंकर नामकर्म के साथ बंधे पुण्यकर्म के प्रभाव से सौधर्म इन्द्र आदि देव-देवेन्द्रों ने उनका विशेष प्रकार से जन्मोत्सव मनाया। सुमेरु पर्वत के शिखर पर ले जाकर हर्षोल्लासपूर्वक १००८ कलशों से क्षीरसागर के निर्मल निर्जन्तुक जल से उनका जन्माभिषेक किया गया। नेमिकुमार परमशान्त, अत्यन्त सुन्दर और १००८ शुभलक्षणों से युक्त श्याम वर्ण होते हुए भी अत्यन्त आकर्षक व्यक्तित्व के धनी और अतुल्यबल के | धारक थे । वे जन्म से ही मति - श्रुत-अवधिज्ञान के धारक भी थे ।
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