________________ डॉ. भारिल्लकेमहत्त्वपूर्ण प्रकाशन 1. समयसार : ज्ञायकभावप्रबोधिनी टीका २.समयसार अनुशीलन भाग-१ ३.समयसार अनुशीलन भाग-२ ४.समयसार अनुशीलन भाग-३ ५.समयसार अनुशीलन भाग-४ ६.समयसार अनुशीलन भाग-५ ७.समयसार का सार 8. गाथा समयसार 9. प्रवचनसार : ज्ञानज्ञेयतत्त्वप्रबोधिनी टीका १०.प्रवचनसार अनुशीलन भाग-१ 11. प्रवचनसार अनुशीलन भाग-२ 12. प्रवचनसार अनुशीलन भाग-३ 13. प्रवचनसार का सार 14. छहढाला का सार 15.47 शक्तियाँ और 47 नय 16. पण्डित टोडरमल व्यक्तित्व और कर्तृत्व 17. परमभावप्रकाशक नयचक्र 18. जिनवरस्य नयचक्रम् 19. चिन्तन की गहराइयाँ 20. तीर्थंकर महावीर और उनका सर्वोदय तीर्थ 21. धर्म के दशलक्षण 22. क्रमबद्धपर्याय 23. बिखरे मोती 24. सत्य की खोज 25. अध्यात्मनवनीत 26. आप कुछ भी कहो 27. आत्मा ही है शरण 28. सुक्ति-सुधा 29. बारह भावना : एक अनुशीलन 30. दृष्टि का विषय 31. गागर में सागर 32. पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव 33. णमोकार महामंत्र : एक अनुशीलन 34. रक्षाबन्धन और दीपावली 35. आचार्य कुंदकुंद और उनके पंचपरमागम 36. युगपुरुष कानजीस्वामी 0 0 0 0 0 0 0 0 0 0 0 110000000000000 0 0 0 0 0 0 0 000000000000000000000000000000000000 0 0 0 0 0 0 0 0 0 0 0 0 0 0 0000333 0 0 0 0 37. वीतराग-विज्ञान प्रशिक्षण निर्देशिका 38. मैं कौन हूँ 39. निमित्तोपादान 40. अहिंसा : महावीर की दृष्टि में 41. मैं स्वयं भगवान हूँ 42. ध्यान का स्वरूप 43. रीति-नीति 44. शाकाहार 45. भगवान ऋषभदेव 46. तीर्थंकर भगवान महावीर 47. चैतन्य चमत्कार 48. गोली का जवाब गाली से भी नहीं 49. गोम्मटेश्वर बाहुबली 50. वीतरागी व्यक्तित्व : भगवान महावीर 51. अनेकान्त और स्याद्वाद 52. शाश्वत तीर्थधाम सम्मेदशिखर 53. बिन्दु में सिन्धु 54. पश्चात्ताप खण्डकाव्य 55. बारह भावना एवं जिनेंद्र वंदना 56. कुंदकुंदशतक पद्यानुवाद 57. शुद्धात्मशतक पद्यानुवाद ५८.समयसार पद्यानुवाद 59. योगसार पद्यानुवाद ६०.समयसार कलश पद्यानुवाद 61. प्रवचनसार पद्यानुवाद 62. द्रव्यसंग्रह पद्यानुवाद 63. अष्टपाहुड़ पद्यानुवाद 64. अर्चना जेबी 65. कुंदकुंदशतक (अर्थ सहित) 66. शुद्धात्मशतक (अर्थ सहित) 67. बालबोध पाठमाला भाग-२ 68. बालबोध पाठमाला भाग-३ 69. वीतराग-विज्ञान पाठमाला भाग-१ 70. वीतराग-विज्ञान पाठमाला भाग-२ 71. वीतराग-विज्ञान पाठमाला भाग-३ 72. तत्त्वज्ञान पाठमाला भाग-१ 73. तत्त्वज्ञान पाठमाला भाग-२ mSKKK00.0000000000000000000000 0000000000000000000000000000 0 0 0 0 0 0 0 0 0 0 0 0 0 0 0 0 0 0 0 000 000000 0 0