SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 30
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ वेश्या निषेध बुधजन सतसई मांस निषेध हाड़ मांस मुरदान के, जाका कांसामाहिं। सो तो प्रगट मसान है, कांसा खासा नाहिं ।।४६१।। दूध दही घृत धान फल, सुष्ट मिष्ट वर खान । ताको तजके अधम मुख, खोटी माटी आन ।।४६२।। जीव अनंता सासते, भाखे श्री भगवान । बालत काटत मांस को, हिंसा होत महान ।।४६३।। मांस पुष्ट निज करन को, दुष्ट आन-पल खात । बुरा करते है भला, सो कहुं सुनी न बात ।।४६४।। स्यार सिंह राक्षस अधम, तिनका भख है मांस । मोक्ष होन लायक मनुष, गहे न याकी बास ।।४६५।। उत्तम होता मांस तो, लगता प्रभु के भोग । यों भी या जानी पड़े, खोटा है संयोग ।।४६६।। दारू की मतबाल में, गोप बात कह देय । पीछे बाका दुख सहे, नृप सरवस हर लेय ।।४७०।। मतवाला कै बावला, चाले चाल कुचाल । जातें जावे कुगतिमें, सदा फिरे बेहाल ।।४७१।। मानुष ढके मद पिये, जाने धरम बलाय । आंख मूंदि कूवे परे, तासों कहा बसाय ।।४७२।। वेश्या निषेध चरमकार बेची सुता, गनिका लीनी मोल । ताको सेवत मूढजन, धर्म कर्म दे खोल ।।४७३।। हीन दीनते लीन है, सेती अंग मिलाय। लेती सरवस संपदा, देती रोग लगाय ।।४७४।। जे गनिका संग लीन हैं, सर्व तरह ते हीन । तिनके करते खावना, धर्म कर्म कर छीन ।।४७५।। खाता पीता सोवता, करता सब व्योहार । गनिका उर बसिवो करे, करतब करे असार ।।४७६।। धन खरचे तोलों रचे, हीन खीन तज देत । व्यसनी का मन ना मुरे, फिरता फिरे अचेत ।।४७७।। द्विज खत्री कोली वनिक, गनिका चाखत लाल । ताको सेवत मूढजन, मानत जनम-निहाल ।।४७८।। मद्य निषेध सड़ि उपजे प्रानी अनंत, मदमें हिंसा भोत। हिंसाते अघ ऊपजे, अघते अति दुख होत ।।४६७।। मदिरा पी मत्ता मलिन, लोटे बीच बजार । मुखमें मूतें कूकरा, चाटे विना विचार ।।४६८।। उज्जल ऊँचे रहन की, सबही राखत चाय । दारू पी रोड़ी पड़े, अचरज नाहिं अघाय ।।४६९।। १. थाल, २. मांस, ३. दूसरों का मांस, ४. गंध, ५. बहुत, ६. बुद्धि, ७. कूड़े में १. नशे में, ४. चमार-मोची, ७. लार, २. गुप्त, ५. सेवन करती है, ८.सफल ३.सर्वस्व-सारा धन, ६. लौटता है,
SR No.008343
Book TitleBudhjan Satsai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBudhjan Kavivar
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year2007
Total Pages42
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size242 KB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy