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________________ सुरेश - गुरुजी ! मैं तो शाम को नहाता हूँ। अध्यापक - नहीं, हमें प्रत्येक काम समय पर करना चाहिए। तभी ठीक रहता है। हमें प्रतिदिन की दिनचर्या बना लेना चाहिए और फिर उसके अनुसार अपना दैनिक कार्य निबटाना चाहिए। रमेश - गुरुजी ! हमारी दिनचर्या आप ही बना दें। हम आज से उसके अनुसार ही कार्य करेंगे। अध्यापक - प्रत्येक बालक को चाहिए कि वह सूर्योदय होने के पूर्व बिस्तर छोड़ दे। सबसे पहले नौ बार णमोकार मंत्र का जाप करें, फिर थोड़ी देर आत्मा के स्वरूप का विचार कर मन को शुद्ध करें। सुरेश - क्या मन भी अशुद्ध होता है? अध्यापक - हाँ भाई, जिस तरह बाह्य गंदगी हमारे शरीर को गंदा कर देती है, उसी प्रकार मोह-राग-द्वेष आदि विकारी भावों से हमारा मन (आत्मा) गंदा हो जाता है। जिस प्रकार स्नान, मंजन आदि द्वारा हमारी देह साफ हो जाती है, उसी प्रकार आत्मा और परमात्मा के चिंतन से हमारा मन (आत्मा) पवित्र होता है। हमें अंतर और बाहर दोनों की पवित्रता पर ध्यान देना चाहिए। रमेश - उसके बाद? अध्यापक - उसके बाद शौच १८ (टट्टी) आदि से निपट कर मंजन करके स्नान करे तथा शुद्ध साफ धुले हुए कपड़े पहिन कर मंदिरजी में देवदर्शन करने जाना चाहिए। देवदर्शन की विधि तो तुम्हें उस दिन समझाई थी। उसके बाद ही अल्पाहार (दूध, नाश्ता) लेकर यदि स्कूल और पाठशाला का समय हो वहाँ चले जाना चाहिए, नहीं तो घर पर ही स्वयं अध्ययन करना चाहिए। इसी प्रकार भोजन भी प्रतिदिन यथासमय १०-११ बजे शांतिपूर्वक करना चाहिए। शाम को दिन छिपने के पूर्व ही भोजन से निवृत्त हो जाना प्रत्येक बालक का कर्तव्य है। रात्रि को भोजन कभी नहीं करना चाहिए। इसी प्रकार रात्रि को भी जब तक तुम्हारा मन लगे ८-९ बजे तक अपना पाठ याद करना चाहिए। उसके बाद आत्मा और परमात्मा का स्मरण करते हुए स्वच्छ और साफ बिस्तर पर शांति से सो जाना चाहिए। सब बालक - आज से हम आपकी बताई हुई दिनचर्या के अनुसार ही चलेंगे और शरीर की सफाई के साथ ही आत्मा की पवित्रता का भी ध्यान रखेंगे। प्रश्न - १. एक अच्छे बालक की दिनचर्या कैसी होनी चाहिए? २. प्रात: सबसे पहले उठकर हमें क्या करना चाहिए? ३. शारीरिक सफाई और मन की पवित्रता से क्या समझते हो? ४. शारीरिक सफाई के लिए क्या-क्या करना चाहिए? ५. मानसिक (आत्मिक) पवित्रता के लिए क्या-क्या करना चाहिए?
SR No.008341
Book TitleBalbodh 1 2 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year
Total Pages43
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Education
File Size144 KB
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