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पाठ तीसरा
| तीर्थंकर भगवान
२.
छात्र - गुरुजी ! बाहुबली क्या भगवान नहीं हैं ? अध्यापक - क्यों नहीं हैं ? छात्र - चौबीस भगवानों में तो उनका नाम आता ही नहीं है। अध्यापक - चौबीस तो तीर्थंकर होते हैं। जो वीतरागी और सर्वज्ञ
हैं, वे सभी भगवान हैं। अरहंत परमेष्ठी और सिद्ध
परमेष्ठी भगवान ही तो हैं। छात्र - क्या तीर्थंकर भगवान नहीं होते ? अध्यापक - तीर्थंकर तो भगवान होते ही हैं पर साथ ही जो
तीर्थंकर न हों पर वीतरागी और पूर्णज्ञानी हों, वे
अरहंत और सिद्ध भी भगवान हैं। छात्र - तो तीर्थंकर किसे कहते हैं ?
अध्यापक - जो धर्मतीर्थ (मुक्ति का मार्ग) का उपदेश देते हैं,
समवशरण आदि विभूति से युक्त होते हैं और जिनको तीर्थंकर नामकर्म नाम का महापुण्य का उदय होता
है, उन्हें तीर्थंकर कहते हैं। वे चौबीस होते हैं। छात्र - कृपया चौबीसों के नाम बताइए? अध्यापक -
ऋषभदेव (आदिनाथ) १३. विमलनाथ अजितनाथ
१४. अनंतनाथ संभवनाथ
१५. धर्मनाथ अभिनन्दन
१६. शान्तिनाथ सुमतिनाथ
१७. कुन्थुनाथ पद्मप्रभ
१८. अरनाथ सुपार्श्वनाथ
१९. मल्लिनाथ चन्द्रप्रभ
२०. मुनिसुव्रत पुष्पदन्त (सुविधिनाथ) २१. नमिनाथ १०. शीतलनाथ
२२. नेमिनाथ ११. श्रेयांसनाथ
२३. पार्श्वनाथ १२. वासुपूज्य
२४. महावीर
(वर्द्धमान, वीर, अतिवीर, सन्मति) छात्र - इनका तो याद रहना कठिन है। अध्यापक - कठिन नहीं है। हम तुम्हें एक छन्द सुनाते हैं, उसे
याद कर लेना, फिर याद रखने में सरलता होगी।