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________________ Version 001: remember to check http://www.AtmaDharma.com for updates पाठ ४ . चार अनुयोग आचार्यकल्प पण्डित टोडरमलजी (व्यक्तित्व एवं कर्तृत्व ) प्राचार्यकल्प पंडित टोडरमलजी के पिता श्री जोगीदासजी खण्डेलवाल दि. जैन गोदीका गोत्रज थे और माँ थी रंभाबाई। वे विवाहित थे। उनके दो पुत्र थे- हरिश्चन्द्र और गुमानीराम। गुमानीराम महान् प्रतिभाशाली और उनके समान ही क्रांतिकारी थे। यद्यपि पंडितजी का अधिकांश जीवन जयपुर में ही बीता, किन्तु उन्हें अपनी आजीविका के लिए कुछ समय सिंघाणा अवश्य रहना पड़ा था। वे वहाँ दिल्ली के एक साहूकार के यहाँ कार्य करते थे। “परम्परागत मान्यतानुसार उनकी आयु २७ वर्ष की मानी जाती है, किन्तु उनकी साहित्य-साधना, ज्ञान व नवीनतम प्राप्त उल्लेखों तथा प्रमाणों के आधार पर यह निश्चित हो चुका है कि वे ४७ वर्ष तक अवश्य जीवित रहे। उनकी मृत्यु-तिथि वि. सं. १८२३-२४ लगभग निश्चित है, अत: उनका जन्म वि. सं. १७७६-७७ में होना चाहिए।" उन्होंने अपने जीवन में छोटी-बड़ी बारह रचनाएँ लिखीं, जिनका परिमाण करीब एक लाख श्लोक प्रमाण है, पाँच हजार पृष्ठों के करीब। इनमें कुछ तो लोकप्रिय ग्रंथों की विशाल प्रामाणिक टीकाएँ हैं और कुछ हैं स्वतंत्र रचनाएँ। वे गद्य और पद्य दोनों रूपों में पाई जाती हैं :(१) मोक्षमार्ग प्रकाशक ( मौलिक) (७) गोम्मटसार जीवकांड भाषा टीका ) (२) रहस्यपूर्ण चिठ्ठी ( मौलिक) (८) गोम्मटसार कर्मकांड भाषा टीका (३) गोम्मटसार पूजा ( मौलिक) (९) अर्थसंदृष्टि अधिकार (४) समोशरण रचना वर्णन (मौलिक) (१०) लब्धिसार भाषा टीका (५) पुरुषार्थसिद्धयुपाय भाषा टीका (११) क्षपणासार भाषा टीका मानुशासन भाषा टीका (१२) त्रिलोकसार भाषा टीका आपके सम्बन्ध में विशेष जानकारी के लिये “ पंडित टोडरमल: व्यक्तित्व और कर्तृत्त्व” नामक ग्रंथ देखना चाहिए। प्रस्तुत पाठ मोक्ष-मार्ग प्रकाशक के अष्टम अधिकार के आधार पर लिखा गया है। १. पं. टोडरमल : व्यक्तित्व और कर्तृत्व; डॉ. हुकमचन्द भारिल्ल , पृष्ठ ? सम्यग्ज्ञान चंद्रिका १८ Please inform us of any errors on rajesh@ AtmaDharma.com
SR No.008325
Book TitleVitrag Vigyana Pathmala 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year1997
Total Pages51
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Education, Spiritual, & Philosophy
File Size719 KB
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