SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 31
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Version 001: remember to check http://www.AtmaDharma.com for updates बहिन - और उन कन्याओं का क्या हुआ ? भाई - उन्होंने भी अपनी दृष्टि को विषय-कषाय से हटाकर वैराग्य की तरफ मोड़ा और वे भी दीक्षा लेकर अर्जिकायें हो गई। जम्बूस्वामी के मातापिता ने भी अर्जिका और मुनिव्रत अंगीकार किया। इस प्रकार सारा ही वातावरण वैराग्यमय हो गया। जम्बूकुमार मुनि निरंतर आत्म-साधना में मग्न रहने लगे और माघ सुदी सप्तमी के दिन-जिस दिन उनके गुरु सुधर्माचार्य को निर्वाण लाभ हुआ-जम्बूस्वामी को केवलज्ञान को प्राप्ति हुई थी। बहिन - जिस प्रकार महावीर का निर्वाण-दिवस और गौतम का केवलज्ञान-दिवस एक है, उसी प्रकार सुधर्माचार्य का निर्वाण दिवस और जम्बूस्वामी को केवलज्ञान-दिवस एक ही हुआ। भाई - हाँ! उसके बाद जम्बूस्वामी की दिव्यध्वनि द्वारा १८ वर्ष तक मगध से लेकर मथुरा तक के प्रदेशों में तत्त्वोपदेश होता रहा और अन्त में वे चौरासी (मथुरा) से मोक्ष पधारे। प्रश्न १. जम्बूस्वामी का संक्षिप्त परिचय अपनी भाषा में दीजिये। २. महाकवि पं. राजमलजी पाण्डे के व्यक्तित्व और कर्तृत्व पर प्रकाश डालिये। * पं. राजमलजी इन्हें विपुलाचल से मोक्ष जाना मानते हैं। २८ Please inform us of any errors on [email protected]
SR No.008323
Book TitleVitrag Vigyana Pathmala 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year1993
Total Pages35
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Education, Spiritual, & Philosophy
File Size447 KB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy