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भाई - वे तो यही चाहते थे कि विवाह न करूँ पर जब कन्याओं ने यह समाचार सुना तो वे भी बोलीं कि यदि शादी होगी तो जम्बूकुमार से अन्यथा नहीं । ?
बहिन - फिर..........
भाई - फिर क्या ? चारों लड़कियों के माता-पिता और जम्बूकुमार के माता-पिता ने प्रति आग्रह किया कि चाहे तुम बाद में दीक्षा ले लेना पर शादी से इन्कार न करो, क्योंकि वे जानते थे कि सर्वांगसुन्दरी कन्यायें अपने रूप और गुणों द्वारा जम्बूकुमार का मन रंजायमान कर लेंगी और फिर जम्बूकुमार वैराग्य की बातें भूल जावेंगे, पर ..... 1
बहिन - पर क्या ?
भाई
पर जम्बूकुमार ने शादी करना तो स्वीकार कर लिया किन्तु उनके मन को सांसारिक विषयवासनायें अपनी ओर खींच न सकीं।
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बहिन - तो क्या शादी नहीं हुई ?
भाई - शादी तो हुई पर दूसरे ही दिन जम्बूकुमार घर–बार, कुटुम्ब - परिवार, धन-धान्य और देवांगना - तुल्य चारों स्त्रियों को त्याग कर नग्न दिगम्बर साधु हो गये।
बहिन - उनकी पत्नियों के नाम क्या थे? क्या उन्होंने उन्हें दीक्षा लेने से रोका नहीं ?
भाई - उनके नाम पद्मश्री, कनकश्री, विनयश्री और रूपश्री थे। उन्होंने अपने हाव-भाव, रूप-लावण्य, सेवा-भाव और बुद्धि - चतुराई से पूरा-पूरा प्रयत्न किया, पर आत्मानन्द में मग्न रहने के अभिलाषी जम्बूकुमार के मन को वे विचलित न कर सकीं ।
बहिन - ठीक ही है ! रागियों का राग ज्ञानियों को क्या प्रभावित करेगा ? ज्ञान और वैराग्य की किरणें तो अज्ञान और राग को नाश करने में समर्थ होती हैं । भाई - ठीक कहती हो बहिन ! उनके ज्ञान और वैराग्य का प्रभाव तो उस विद्युच्चर नामक चोर पर भी पड़ा, जो उसी रात जम्बूकुमार के मकान में चोरी करने आया था। लेकिन जम्बूकुमार तथा उनकी नव-परिणीता स्त्रियों की चर्चा को सुनकर तथा उन कुमार की वैराग्य परिणति देख उनके साथ ही मुनि हो
गया।
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