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समयसार
२५०
वस्त्रस्य श्वेतभावो यथा नश्यति मलमेलनासक्तः। मिथ्यात्वमलावच्छन्नं तथा सम्यक्त्वं खलु ज्ञानव्यम्।। १५७ ।। वस्त्रस्य श्वेतभावो यथा नश्यति मलमेलनासक्तः। अज्ञानमलावच्छन्नं तथा ज्ञानं भवति ज्ञातव्यम्।। १५८ ।। वस्त्रस्य श्वेतभावो यथा नश्यति मलमेलनासक्तः। कषायमलावच्छन्नं तथा चारित्रमपि ज्ञातव्यम्।। १५९ ।।
ज्ञानस्य सम्यक्त्वं मोक्षहेतुः स्वभाव: परभावेन मिथ्यात्वनाम्ना कर्ममलेनावच्छन्नत्वात्तिरोधीयते, परभावभूतमलावच्छन्नश्वेतवस्त्रस्वभावभूतश्वेतस्वभाववत्। ज्ञानस्य ज्ञानं मोक्षहेतु: स्वभाव: परभावेनाज्ञाननाम्ना कर्ममलेनावच्छन्नत्वात्तिरोधीयते, परभावभूतमलावच्छन्नश्वेतवस्त्रस्वभावभूतश्वेतस्वभाववत्। ज्ञानस्य चारित्रं मोक्षहेतुः स्वभावः परभावेन कषायनाम्ना
गाथार्थ:- [यथा] जैसे [वस्त्रस्य ] वस्रका [श्वेतभावः] श्वेतभाव [ मलमेलनासक्तः ] मैलके मिलनेसे लिप्त होता हुआ [ नश्यति ] नष्ट हो जाता है - तिरोभूत हो जाता है, [ तथा] उसीप्रकार [ मिथ्यात्वमलावच्छन्नं] मिथ्यात्वरूपी मैलसे व्याप्त होता हुआ-लिप्त होता हुआ [ सम्यफ्त्वं खलु] सम्यक्त्व वास्तवमें तिरोभूत होता है [ ज्ञातव्यम् ] ऐसा जानना चाहिये। [ यथा] जैसे [वस्त्रस्य ] वस्त्रका [ श्वेतभावः ] श्वेतभाव [ मलमेलनासक्तः] मैलके मिलनेसे लिपत होता हुआ [ नश्यति] नाशको प्राप्त होता है -तिरोभूत हो जाता है, [ तथा] उसीप्रकार [अज्ञानमलावच्छन्नं] अज्ञानरूपी मैलसे व्याप्त होता हुआ-लिप्त होता हुआ [ ज्ञानं भवति] ज्ञान तिरोभूत हो जाता है [ ज्ञातव्यम् ] ऐसा जानना चाहिये। [ यथा ] जैसे [ वस्त्रस्य ] वस्त्रका [ श्वेतभावः ] श्वेतभाव [ मलमेलनासक्तः] मैलके मिलनेसे लिप्त होता हुआ [निश्यति] नाशको प्राप्त होता है-तिरोभूत हो जाता है, [ तथा] उसीप्रकार [ कषायमलावच्छन्नं] कषायरूपी मैलसे व्याप्त होता हुआ [चारित्रम् अपि] चारित्र भी तिरोभूत हो जाता है [ ज्ञातव्यम् ] ऐसा जानना चाहिये।
टीका:-ज्ञानका सम्यक्त्व जो कि मोक्षका कारणरूप स्वभाव है वह, परभावस्वरूप मिथ्यात्व नामक कर्मरूपी मैलके द्वारा व्याप्त होनेसे , तिरोभूत हो जाता है-जैसे परभावस्वरूप मैलसे व्याप्त हुआ श्वेत वस्त्रका स्वभावभूत श्वेतस्वभाव तिरोभूत हो जाता है। ज्ञानका ज्ञान जो कि मोक्षका कारणरूप स्वभाव है वह, परभावस्वरूप अज्ञान नामक कर्ममल द्वारा व्याप्त होनेसे तिरोभूत हो जाता है-जैसे परभावस्वरूप मैलसे व्याप्त हुआ श्वेत वस्त्रका स्वभावभूत श्वेत स्वभाव तिरोभूत हो जाता है। ज्ञानका चारित्र जो मोक्षका कारणरूप स्वभाव है वह परभावस्वरूप कषाय नामक
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