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समयसार
अनुवादककी ओरसे !
जैनेन्द्र प्रेस जैन ललितपुर
मैं इसे अपना परम सौभाग्य मानता हूँ कि मुझे इस युग के महान आध्यात्मिक संत श्री कानजी स्वामी के सान्निध्यका सुयोग प्राप्त हुआ, और उनके प्रवचनोंको सुनने एवं उन्हें राष्ट्रभाषा - हिन्दीमें अनूदित करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। उन अनूदित ग्रन्थोंमें से 'समयसार प्रवचनादि' पहले प्रकाशित हो चुके हैं। पूज्य कानजी स्वामीके सान्निध्य में रहकर अनेक विद्वानोंने कई आध्यात्मिक ग्रंथोंकी रचना की है, अनुवाद किये हैं और सम्पादन किया है। उन विद्वनोंमें श्री हिम्मतलाल शाह तथा श्री रामजी भाई दोशी आदि प्रमुख हैं।
उपरोक्त विद्वानोंके द्वारा गुजराती भाषा में अनूदित, सम्पादित एवं लिखित अनेक ग्रन्थोंका हिन्दी भाषानुवाद करने का मुझे सुयोग मिला है, जिनमें प्रवचनसार, मोक्षशास्त्र और यह समयसार ग्रन्थ भी है। अध्यात्मप्रेमी भाई श्री कुं० नेमीचन्दजी पाटनी की प्रेरणा इस सुकार्य में विशेष साधक सिद्ध हुई है। प्रत्येक गाथा का गुजराती से हिन्दी पद्यानुवाद उन्हींने किया है। मैंने गुजराती अन्वयार्थ, टीका और भावार्थ का भाषानुवाद किया है। यद्यपि अनुवाद में सम्पूर्ण सावधानी रखी गई है, तथापि यदि कोई दोष रह गये हों तो विशेषज्ञ मुझे क्षमा करें ।
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परमेष्ठीदास
सम्पादक 'बीर'
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