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________________ Version 001: remember to check http://www.AtmaDharma.com for updates 34 ३३३ ३३८ २६४ ३३९ ३४१ ३४४ ३४५ २६९ ३५३ ३६१ ३६१ २८५ ३६८ ३७२ १ ३७३ २३७७ ३ ३८० ३८० 40 x अरिहन्त भक्ति भावना १० २५८ समोशरण महिमा २६० आचार्य भक्ति भावना ११ २६२ आचार्य के विशेष गुण बहुश्रुत भक्ति भावना १२ २६९ द्वादशांग वर्णन प्रवचन भक्ति भावना १३ २७५ आवश्यक परिहाणि भावना १४ २८९ सन्मार्ग प्रभावना भावना १५ २८३ जिन मंदिर महिमा आचरण शुद्धि की प्रेरणा २८५ प्रवचन वत्सलत्व भावना १६ २८६ धर्म के दश लक्षण २८८ उत्तम क्षमा धर्म १ २८९ उत्तम मार्दव धर्म २ २९५ उत्तम आर्जव धर्म ३ २९७ उत्तम सत्य धर्म ४ २९८ उत्तम शौच धर्म ५ ३०२ अन्याय , अनीति अभक्ष्य का फल ३०३ उत्तम संयम धर्म ६ ३०४ उत्तम तप धर्म ७ ३०६ उत्तम त्याग धर्म ८ ३०७ उत्तम आकिंचन्य धर्म ९ ३१० उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म ३१२ धर्म करने की विधि ३१६ तीन शल्ये ३१७ सत्संगति की प्रेरणा आठ शुद्धियाँ ३२४ तप भावना ३२९ बाह्य तप ३२९ अंतरंग तप स्वाध्याय तप वक्ता का स्वरूप श्रोता का स्वरूप और भेद ध्यान तप आर्तध्यान और भेद रौद्रध्यान और भेद बहिरात्मा और अंतरात्मा में भेद धर्म ध्यान और भेद ईश्वर कर्तृत्वमीमांसा बारह भावना अनित्य भावना अशरण भावना संसार भावना पंचपरावर्तन निगोद के दुख नरक गति के दुख तिर्यंचगति के दुख मनुष्य गति के दुख देवगति के दुख एकत्व भावना अन्यत्व भावना अशुचि भावना आस्रव भावना संवर भावना निर्जरा भावना लोक भावना बोधि दुर्लभ भावना धर्म भावना धर्म ध्यान के पुनः भेद 40 ३८१ x ३८१ x ३८८ ३९० ३९३ ४ ३९५ ५ ३९६ ६ ३९८ ७ ४०० ८ ४०२ ९ ४०३ १० ४०३ ११ ४०४ १२ ४०५ ४०६ ३२१ Please inform us of any errors on rajesh@ AtmaDharma.com
SR No.008300
Book TitleRatnakarandak Shravakachar
Original Sutra AuthorSamantbhadracharya
AuthorMannulal Jain
PublisherVitrag Vigyan Swadhyay Mandir Trust Ajmer
Publication Year2000
Total Pages527
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ethics, & Religion
File Size6 MB
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