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अष्टम-श्रावक पद अधिकार
४ ४२३
पिण्डस्थ धर्म ध्यान
१ ४०६ पदस्थ धर्म ध्यान
२ ४०८ रूपस्थ धर्म ध्यान
३ ४११ समोशरण वर्णन रूपातीत धर्म ध्यान शुक्ल ध्यान और भेद
४२३ परिशिष्ट ६. शुद्धनय , व्यवहारनय ४२७ | सप्तम-सल्लेखना अधिकार सल्लेखना का लक्षण १२२ ४३२ समाधिमरण महिमा १२३ से १२६ ४३३ मृत्यु महोत्सव पाठ
४३७ काय सल्लेखना १२७,१२८ ४४८ कषाय सल्लेखना समाधि में संबोधन
४५२ चतुर्गति के दुःख
४५७ सल्लेखन के अतिचार १२९ ४६५ मोक्ष का स्वरूप १३० से १३५ ४६६ परिशिष्ट : ७ धर्म का स्वरूप ४६८
श्रावक के ग्यारह पद १३६ ४६९ दर्शन पद १
१३७ ४६९ व्रत पद २
१३८ ४७० सामायिक पद ३
१३९ ४७० प्रोषध पद ४
१४० ४७१ सचित त्याग पद ५
१४१ ४७१ रात्रि भोजन त्याग पद ६ १४२ ४७१ ब्रह्मचर्य पद ७
१४३ ४७१ आरंभ त्याग पद ८
१४४ ४७२ परिग्रह त्याग पद ९
१४५ ४७२ अनुमति त्याग पद १० १४६ ४७३ उद्दिष्ट त्याग पद ११ १४७ ४७३ धर्म के ज्ञाता का लक्षण १४८ ४७४ रत्नत्रय का फल
१४९ ४७५ अंतिम मंगल
१५० ४७५ वचनिकाकार की प्रशस्ति ४७६ परिशिष्ट ८ : जैनतत्त्वज्ञान संबंधी वाक्यांश
४७७ परिशिष्ट ९ : शुद्ध जैनाचार संबंधी वाक्यांश
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