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काल की मर्यादा
९४ १५५ महाव्रत की कल्पना
९५ १५६ देशावकाशिक व्रत के अतिचार ९६ १५६ सामायिक शिक्षाव्रत का लक्षण २९७ सामायिक के आसन
९८ १५७
९८ सामायिक का स्थान
९९ १५७ सामायिक का विषय १००,१०१ १५७ वैर त्याग
१५८ कषाय त्याग
१५९ पाप त्याग
१६० सामायिक में महाव्रतपना १०२ १६२ सामायिक में परिषहजय १०३ १६२ संसार और मोक्ष का विचार १०४ १६२ सामायिक व्रत के अतिचार १०५ १६३ प्रोषधोपवास व्रत का लक्षण ३ १०६ १६४ उपवास में त्याज्य और प्रयोजन १०७ १६५ उपवास में कर्त्तव्य १०८,१०९ १६५ उपवास के अतिचार
११० १६६ वैयावृत्य का लक्षण ४ १११ १६६ दान की पात्रता
१६७ वैयावृत्य में अन्य कार्य ११२ १६८ आहारदान का स्वरूप
११३ १६८ दातार का स्वरूप निर्दोष दान का स्वरूप दान का फल ११४,११५,११६ १७५ कल्पवृक्ष वर्णन
१७६ पात्र के भेद
१७७ दान के भेद : ( कल्पवृक्षवर्णन ) ११७ १७८ संपत्ति की अस्थिरता
१७८
पंचमकाल की विशेषता
१८२ पात्रदान की प्रेरणा
१८९ दान में प्रसिद्ध
११८ १९६ जिन पूजन की प्रेरणा ११९ पूजन के भेद और विधि
२०० अकृत्रिम जिनचैत्यालय वर्णन जिनपूजन में प्रसिद्ध १२० २११ वैयावृत्य के अतिचार १२१ २१३ परिशिष्ट ५. श्रावकधर्म | षष्ठ-भावना अधिकार पांच अणुव्रतों की भावनायें २१७ पाँच पाप त्याग की प्रेरणा इंद्रियसुख दुःख ही है
२२३ मैत्री आदि चार भावनायें संसार, शरीर, भोगों का स्वरूप २२६ सोलहकारण भावनाओं का स्वरूप २२७ दर्शन विशुद्धि भावना १ सम्यग्दृष्टि के आठ गुण
२३१ तीन मूढ़तायें
२३४ छ: अनायतन
२३५ आठ मद विनय संपन्नता भावना २ २३८ शीलव्रत भावना
३ २४२ अभीक्ष्ण ज्ञानोपयोग भावना ४ २४४ संवेग भावना
५ ३४६ शक्ति प्रमाण त्याग भावना ६ २४६ शक्ति प्रमाण तप भावना ७ २५० साधु समाधि भावना
८ २५२ वैयावृत्य भावना
९ २५५
२२८
२३६
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