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Version 001: remember to check http://www.AtmaDharma.com for updates चतुर्थ - सम्यग्दर्शन अधिकार]
[१२९ इस देश में दासी–दास सुलभ हैं, इनको अमुक देश में ले जाकर बेचने पर बहुत लाभ होगा-ऐसा उपदेश नहीं दो। ऐसा उपदेश क्लेश वणिज्या उपदेश है। गाय, भैंस, घोड़ा आदि अमुक देश से लाकर दूसरे देश में बेचने से बहुत धन का लाभ होगा - ऐसा उपदेश नहीं दो। ऐसा उपदेश तिर्यक् वाणिज्या उपदेश है। चिड़ीमार शिकारियों से ऐसा कहना कि – अमुक देश में मृग, सूकर, पक्षी इत्यादि जीव बहुत होते हैं - ऐसा उपदेश नहीं दो। ऐसा कहना वधकोपदेश है। खेती करनेवालों को पृथ्वी के आरम्भ, जल, अग्नि, वायु, वनस्पति छेदन आदि का उपदेश देना वह आरम्भोपदेश है, वह उपदेश नहीं दो। ये सभी पापोपदेश त्याग करने योग्य ही हैं। ___ हुक्का , जरदा, तम्बाखू, भांग , अमल , छोंतरादि पीने का , सूंघने का , खाने का उपदेश महापाप का कारण है, वह उपदेश नहीं दो। हुक्का, जर्दा तो उत्तम कुल के मनुष्यों के योग्य ही नहीं है, इनसे जाति तथा कुल का आचार भ्रष्ट हो जाता है। हुक्के के पानी में धुवाँ तथा पानी के संयोग से बहुत जीव उत्पन्न हो जाते हैं, तथा जल बहुत दुर्गन्धयुक्त हो जाता है। वह पानी जहाँ गिरे वहीं पर छह काय के जीवों की विराधना ही करता है। चूना , ईंट पकवाने का उपदेश नहीं दो।
इस प्रकार बहुत पाप के व्यापार करने का उपदेश नहीं दो। गाय, भैंस, बैल, ऊंट, गाड़ा-गाड़ी को रखने का उपदेश नहीं दो। कोई दातार मनुष्य तिर्यंचों को भोजन, वस्त्र , धनादि देता हो तो उसे अंतराय नहीं करो। कुपात्र दान का उपदेश नहीं दो, देने में अंतराय-विघ्न नहीं करो। व्रत भंग करने का उपदेश नहीं दो। ___ बहुत क्या कहें ? जिससे अपना धर्म, अर्थ, काम कुछ भी सिद्ध नहीं होता है, केवल पाप ही का बंध होता है, अतः ऐसा पापरूप उपदेश नहीं दो।
जिनसे बहुत हिंसा होती है ऐसे उपकरण किसी को नहीं दो। मांगने पर नहीं दो, किराये पर नहीं दो, मुफ्त में ही प्रीति के कारण नहीं दो, मूल्य में भी नहीं दो, जिन्हें दे देने से कुछ लाभ भी होता दिखाई दे तो भी नहीं दो, महापाप का कारण जानकर देना उचित नहीं है। जिन्हें हाथ में लेते ही परिणाम दुष्ट हो जाते हैं, किसी का घात करने ही का विचार आता है ऐसे तलवार, छुरी, भाला, बाण, धनुष, बन्दूक, तमंचा, कटारी इत्यादि आयुध देने योग्य नहीं है।
भूमि खोदने के कारण जिनसे गलियों में, सड़को में, खेतों में बड़े-बड़े त्रस जीव सर्प, बिच्छू, गिंडोला, लट, कीड़ा, मूसा आदि जीव कटजाते हैं, छिदजाते हैं; करोड़ो जीवों की हिंसा हो जाती है ऐसे फावड़ा, कुदाल, कुश, खुरपा, हल, मुद्गर, हथौड़ा किसी को नहीं दो। अनेक त्रस जीवों को, स्थावर जीवों को चीरनेवाला फरसा, कुल्हाड़ा, वसूला , करोंत, दांतला, दतीला, किसी को नहीं दो। अग्नि, विष, बेड़ी, सांकल, पिंजरा, जाल, जीव पकड़ने का यन्त्र किसी को नहीं दो। तिर्यंच व मनुष्यों को मारने के कारण लाठी, घोंटा, चाबुक , चामड़ा, लोढ़ा किसी को नहीं दो। ___ बिल्ली, कुत्ता इत्यादि हिंसक जीवों को अपना बनाकर नहीं पालो। सुअर, तीतर, बुलबुल, मुर्गा, मैना, कबूतर, बाज इत्यादि पक्षियों को पिंजरो में रखना, पालना नहीं करो। कितने ही बहुत
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