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Version 001: remember to check http://www.AtmaDharma.com for updates ततिय- सम्यग्दर्शन अधिकार
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परिशिष्ट -३
जिनवाणी परसाद तै, लहिये आतम ज्ञान । दहिये गत्यागति सवै, गहिये पद निर्वाण ।।
- पंडित दौलतरामजी कासलीवाल
चाम चक्षुसों सब मती, चितवत करत निवेर । ज्ञान नैनसों जैन ही, जोवत इतनो फेर ।।
- ब्रम्हविलास
शुद्ध सम्यग्दर्शन के बिना संसार के दुःखों से पार उतरने का अन्य कोई उपाय नहीं है।
- श्रावक धर्म प्रदीप हे जिनेन्द्रदेव! दर्शन, ज्ञान और चारित्रमय-निश्चलवृत्तिमय - जो आपकी शक्तियों का समूह है, वह संसार के बीज-मिथ्यात्व को हरण करनेवाला है। भेदज्ञानी पुरुष के प्रारम्भिक भूमिका में कुमार्ग से निवृत्ति के हेतु क्रिया होती है, किन्तु वह उस क्रिया में लीन – भला मानना – नहीं होता है - लघुतत्त्व स्फोट : ।४-२।
सम्यक्त्वी सदा चितस्वरूप ध्यान करने को उद्यमी होता है। वहां प्रथम भेदविज्ञान स्वरूप का करे, नोकर्म-द्रव्यकर्म-भावकर्म रहित केवल चैतन्य चमत्कार मात्र अपना स्वरूप जाने। पश्चात् पर का भी विचार छूट जाय, केवल स्वात्म विचार ही रहता है, वहां अनेक प्रकार निज स्वरूप में अहंबुद्धि धरता है, चिदानन्द हूँ, शुद्ध हूँ, सिद्ध हूँ इत्यादिक विचार होने पर सहज ही आनन्द तरंग उठती है, रोमांच हो जाता है। तत्पश्चात् ऐसा विचार तो छूट जाय, केवल चिन्मात्र स्वरूप भासने लगे। वहां सर्व परिणाम उस रूप में एकाग्र होकर प्रवर्तते हैं। दर्शन-ज्ञानादिक का व नय-प्रमाणादिक का भी विचार विलय हो जाता है। चैतन्यस्वरूप जो सविकल्प से निश्चय किया था, उस ही में व्याप्य-व्यापकरूप होकर इस प्रकार प्रवर्तता है जहाँ ध्याता-ध्येयपना दूर हो गया। सो ऐसी दशा का नाम निर्विकल्प अनुभव हैं। - पंडित टोडरमलजी-रहस्यपूर्ण चिट्ठी
नय ज्ञान (१) द्रव्य नय (२) पर्याय नय (३) अस्तित्व नय (४) नास्तित्व नय (५) अस्तित्व - नास्तित्व नय (६) अवक्तव्य नय (७) अस्तित्व - अवक्तव्य नय (८) नास्तित्व - अवक्तव्य नय (९) अस्तित्व - नास्तित्व अवक्तव्य नय (१०) विकल्प नय (११) अविकल्प नय (१२) नाम नय (१३) स्थापना नय (१४) द्रव्य नय (१५) भाव नय (१६) सामान्य नय (१७) विशेष नय (१८) नित्य नय (१९) अनित्य नय (२०) सर्वगत नय (२१) असर्वगत नय (२२) शून्य नय (२३) अशून्य नय (२४) ज्ञान ज्ञेय - अद्वैत नय (२५) ज्ञान ज्ञेय - द्वैत नय (२६) नियति नय (२७) अनियति नय (२८) स्वभाव नय (२९) अस्वभाव नय (३०) काल नय (३१) अकाल नय (३२) पुरुषकार नय (३३) दैव नय (३४) ईश्वर नय (३५) अनीश्वर नय (३६) गुणी नय (३७) अगुणी नय (३८) कर्तृ नय (३९) अकर्तृ नय (४०) भोक्तृ नय (४१) अभोक्तृ नय ( ४२) क्रिया नय ( ४३) ज्ञान नय (४४) व्यवहार नय (४५) निश्चय नय (४६) अशुद्ध नय (४७) शुद्ध नय।
- प्रवचनसार से
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