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शुभोपयोगस्वरूपं प्ररूपित- शुभोपयोगस्वरूपं प्ररूपयति- । પરમ ભટ્ટાકર,
પરમ ભટ્ટારક, निजपरमात्मद्रव्याद्रन्यद्रव्ये | निजपरमात्मद्रव्यादन्यद्रव्ये पृथिव्यप्तेजोवातकाथिकेषु | पृथिव्यप्तेजोवातकायिकेषु *સ્પર્ધાદિ ચતુષ્ના
*સ્પર્શાદિ ચતુષ્કના कम्सभावं
कम्मभावं (८) लिंगनू
(८)ने सिंगन (शुद्धि पत्र) यथासंभवमन्यऽप्यर्थो यथासंभवमन्योऽप्यर्थो निरुपरागस्ससंवेदनज्ञानगम्य | निरुपरागस्वसंवेदनज्ञानगम्यमदीयाराध्योऽमियति | मदीयाराध्योऽयमिति वैराग्यपरिणतिः।
वैराग्यपरिणतः। દ્રવ્યબંધનો સાધકસમ દ્રવ્યબંધનો સાધકતમ स्वपरद्रव्यप्रवृत्तिद्रव्यनिवृत्ति स्वद्रव्यप्रवृत्तिपरद्रव्यनिवृत्ति अहं अमेदं ति
अहं ममेदं ति अक्रियमाणाश्रात्मना
अक्रियमाणाश्चात्मना के:
| कैः | प्ररूपितः। क।
प्ररूपितः। क्व। सन्मजाष्ठीदिरङ्गद्रव्येण सन्मजीष्ठादिरङ्गद्रव्येण हेह-धनाहिमा
દેહ-ધનાદિકમાં | | दर्श मोहस्तम।
दर्शनमोहस्तम। વિલ થવાને
વિલય થવાને स च धर्मध्यानसंबन्धी स च धर्म्यध्यानसंबन्धी जादा जादा
जादा जाता અરૂઢ
આરૂઢ 'उवसंपययामि सम्म' 'उवसंपयामि सम्म' ग्रन्था क्षया मध्यमङ्गलार्थ ग्रन्थापेक्षया मध्यमङ्गलार्थं અને જેમાં
અને જ્ઞાન જેમાં એવા આ આત્મા
એવો આ આત્મા दत्तसवस्वमूलो
दत्तसर्वस्वमूलो तथव तद्गुणप्रतिपादकवचन- | तथैव तद्गुणप्रतिपादकवचनछेद,
छेद:, | અને દર્શાનાદિકમાં
અને દર્શનાદિકમાં श्रमण: ] अ५यत
श्रमण: | अप्रयत શ્રવણ
શ્રમણ स्वस्त्येव।
त्वस्त्येव। प्रतिपत्तं
| प्रतिपत्तुं -समयरिच्छित्तिसमर्थ -समयपरिच्छित्तिसमर्थ इतो विस्तार:
इतो विस्तरः
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