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________________ Version 001: remember to check http://www.AtmaDharma.com for updates | 36 3047 | 37 305 22 | 38 307 13 | 39 | 319 16 40 | 320 14 | 41 | 322 10 | 42 | 32629 | 43 | 3277 44328 17 45 | 331 8 46 | 338 47 | 338 21 48 | 342 9 49 | 343 50 | 344 5 51 | 350 8 52 | 350 | 10 53 | 350 11 54 | 352 18 55 | 359 14 | 56 | 361 25 57 362 12 58 | 366 14 | 59 | 366 | 24 | 60 369 6 | 61369 | 13 62 |374 63 | 376 20 | 64 | 385 6 65 385 12 66 | 391 1 67 | 393 24 | 68 40020 | 69 403 | 24 70 | 407 6 71 408 3 | 431 10 173 | 433 | 11 शुभोपयोगस्वरूपं प्ररूपित- शुभोपयोगस्वरूपं प्ररूपयति- । પરમ ભટ્ટાકર, પરમ ભટ્ટારક, निजपरमात्मद्रव्याद्रन्यद्रव्ये | निजपरमात्मद्रव्यादन्यद्रव्ये पृथिव्यप्तेजोवातकाथिकेषु | पृथिव्यप्तेजोवातकायिकेषु *સ્પર્ધાદિ ચતુષ્ના *સ્પર્શાદિ ચતુષ્કના कम्सभावं कम्मभावं (८) लिंगनू (८)ने सिंगन (शुद्धि पत्र) यथासंभवमन्यऽप्यर्थो यथासंभवमन्योऽप्यर्थो निरुपरागस्ससंवेदनज्ञानगम्य | निरुपरागस्वसंवेदनज्ञानगम्यमदीयाराध्योऽमियति | मदीयाराध्योऽयमिति वैराग्यपरिणतिः। वैराग्यपरिणतः। દ્રવ્યબંધનો સાધકસમ દ્રવ્યબંધનો સાધકતમ स्वपरद्रव्यप्रवृत्तिद्रव्यनिवृत्ति स्वद्रव्यप्रवृत्तिपरद्रव्यनिवृत्ति अहं अमेदं ति अहं ममेदं ति अक्रियमाणाश्रात्मना अक्रियमाणाश्चात्मना के: | कैः | प्ररूपितः। क। प्ररूपितः। क्व। सन्मजाष्ठीदिरङ्गद्रव्येण सन्मजीष्ठादिरङ्गद्रव्येण हेह-धनाहिमा દેહ-ધનાદિકમાં | | दर्श मोहस्तम। दर्शनमोहस्तम। વિલ થવાને વિલય થવાને स च धर्मध्यानसंबन्धी स च धर्म्यध्यानसंबन्धी जादा जादा जादा जाता અરૂઢ આરૂઢ 'उवसंपययामि सम्म' 'उवसंपयामि सम्म' ग्रन्था क्षया मध्यमङ्गलार्थ ग्रन्थापेक्षया मध्यमङ्गलार्थं અને જેમાં અને જ્ઞાન જેમાં એવા આ આત્મા એવો આ આત્મા दत्तसवस्वमूलो दत्तसर्वस्वमूलो तथव तद्गुणप्रतिपादकवचन- | तथैव तद्गुणप्रतिपादकवचनछेद, छेद:, | અને દર્શાનાદિકમાં અને દર્શનાદિકમાં श्रमण: ] अ५यत श्रमण: | अप्रयत શ્રવણ શ્રમણ स्वस्त्येव। त्वस्त्येव। प्रतिपत्तं | प्रतिपत्तुं -समयरिच्छित्तिसमर्थ -समयपरिच्छित्तिसमर्थ इतो विस्तार: इतो विस्तरः 29 Please inform us of any errors on [email protected]
SR No.008294
Book TitlePravachana sara
Original Sutra AuthorKundkundacharya
AuthorHimmatlal Jethalal Shah
PublisherDigambar Jain Swadhyay Mandir Trust
Publication Year1980
Total Pages548
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, Spiritual, & Discourse
File Size3 MB
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