________________ Version 001: remember to check http://www.AtmaDharma.com for updates पृष्ठ द 314 दर्शनं निश्चयः पुंसि दंसणपुव्वं णाणं द्रव्यानुसारि चरणं 173 184 292 123 वात 67 नमस्यं च तदेवैकं न हि विदधति निषिद्धे सर्वस्मिन निष्क्रिय करणातीतं प पडिकमणं पडिसरणं परियट्टणं च वायण / पंचाचारपरान्नकिंचनपुढवी जलं च छाया प्रत्याख्याय भविष्य | | 230 58 101 107 | यथावद्वस्तुनिर्णीति: 317 | यत्र प्रतिक्रमणमेव 197 | यदग्राह्यं न गृह्णाति / यदि चलति कथञ्चि१९० | यमनियमनितान्तः 79 | ल 188 | लोयायासपदेसे 167 | वनचरभयाद्धावन् / | 173 | वसुधान्त्यचतुःस्पर्शेषु 302 | व्यवहरणनयः स्या१४१ स 52 | सकलमपि विहाया१८० | समओ णिमिसो कट्टा समओ दु अप्पदेसो 315 | समधिगतसमस्ताः 295 | सव्वे भावे जम्हा संसिद्धिराधसिद्धं 169 | सिद्धान्तोऽयमुदात्त१५४ | सो धम्मो जत्थ दया 229 | स्थितिजनननिरोधलक्षणं स्थूलस्थूलास्ततः 116 | स्वयं कर्म करोत्यात्मा 198 | स्वरनिकरविसर्ग२०७ | स्वेच्छासमुच्छलद 87 | 65 66 120 बन्धच्छेदात्कलयदतुलं बहिरात्मान्तरात्मेति 179 157 103 भावयामि भवावर्ते भेदविज्ञानतः सिद्धाः भेयं मायामहागर्ता 15 52 193 मज्झं परिग्गहो जइ मुक्त्वालसत्व| मोहविलासविजूंभित 297 Please inform us of any errors on rajesh@AtmaDharma.com