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प्रकाशित हो चुके हैं यह उर्दूमें भी छप चुका है । मराठी और गुजरातीमें भी इसके अनुवाद प्रकाशित हो चुके हैं । अभी तक सब कुल मिलाकर इसकी ६२,२०० प्रतियाँ छप चुकीं हैं। इसके अतिरिक्त भारत वर्षके दिगम्बर जैन मंदिरोंके शास्त्रभण्डारोंमें इस ग्रंथराज की हजारों हस्त लिखित प्रतियाँ पायी जाती हैं। समूचे समाजमें यह स्वाध्याय और प्रवचनका लोकप्रिय ग्रंथ है। आज भी पंडित टोडरमलजी दिगम्बर जैन समाज में सर्वाधिक पढ़े जाने वाले विद्वान् हैं। मोक्षमार्गप्रकाशक की मूल प्रति भी उपलब्ध हैं एवं उसके फोटोप्रिण्ट करा लिये गए हैं जो जयपुर, दिल्ली और सोनगढ़ में सुरक्षित हैं। इस पर स्वतन्त्र प्रवचनात्मक व्याख्याएँ भी मिलती हैं ।
इस ग्रंथका निर्माण ग्रंथकारकी अंतःप्रेरणा का परिणाम है । अल्पबुद्धि वाले जिज्ञासु जीवोंके प्रति धर्मानुराग ही अन्तःप्रेरणाका प्रेरक रहा है। ग्रंथ - निर्माण के मूल में कोई लोकिक आकांशा नहीं थी । धन, यश और सम्मानकी चाह तथा नया पंथ चलानेका मोह भी इसका प्रेरक नहीं था; किन्तु जिनको न्याय, व्याकरण, नय और प्रमाणका ज्ञान नहीं है और जो महान शास्त्रोंके अर्थ समझने में सक्षम नहीं है, उनके लिये जनभाषामें सुबोध ग्रन्थ बनानेके पवित्र उद्देश्य से ही इस ग्रंथका निर्माण हुआ है ।
(क)
(ख)
(ग)
(घ)
(ङ)
२
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३
प्रकाशक
अ० दि० जैन संघ, मथुरा
श्री दि० जैन स्वाध्याय मंदिर द्रस्ट, सोनगढ़ श्री दि० जैन स्वाध्याय मंदिर ट्रस्ट, सोनगढ़
श्री दि० जैन स्वाध्याय मंदिर ट्रस्ट, सोनगढ़ श्री दि० जैन स्वाध्याय मंदिर ट्रस्ट, सोनगढ़
दाताराम चेरिटेबल ट्रस्ट, १५८३, दरीबकलाँ, देहली वि० सं० २०२७
(क) श्री दि० जैन स्वाध्याय मंदिर ट्रस्ट, सोनगढ़
महावीर ब्र० आश्रम, कारंजा
प्रकाशन तिथि
वी० नि० सं० २००५
वि० सं० २०२३
वि० सं० २०२६
वि० सं० २०३०
वि० सं० २०३५
४
श्री दि० जैन मंदिर दीवान भदीचंदजी, घी वालोंका रस्ता, जयपुर ५ वही
६ श्री दि० जैन सीमंधर जिनालय, जवेरी बाजार, बम्बई
१०
७ श्री दि० जैन मुमुक्षु मण्डल, श्री दि० जैन मंदिर धर्मपुरा, देहली
८
श्री दि० जैन स्वाध्याय मंदिर ट्रस्ट, सोनगढ़
प्रतियाँ
१०००
११०००
७०००
७०००
११०००
(प्रस्तुत संस्करण )
भाषा
खड़ी बोली
उर्दू
गुजराती मराठी
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१०००
९ आध्यात्मिक सत्पुरुष श्री कानजी स्वामी द्वारा किये गए प्रवचन 'मोक्षमार्गप्रकाशककी किरणें ' नाम से
दो भागों में श्री दि० जैन स्वाध्याय मंदिर ट्रस्ट, सोनगढ़से हिन्दी व गुजरातीमें कई बार प्रकाशित हो
मोक्षमार्गप्रकाशक, प्रस्तुत संस्करण, पृष्ठ १९
६७००
२०००