________________
Version 002: remember to check http://www.AtmaDharma.com for updates
तीसरा अधिकार]
[७३
क्योंकि मन द्वारा तो स्मरणादि होनेपर अस्पष्ट जानना कुछ होता है। यहाँ तो जिस प्रकार त्वचा, जिह्वा इत्यादिसे स्पर्श, रसादिकका – स्पर्श करने पर, स्वाद लेने पर, सूंघनेदेखने-सुनने पर जैसा स्पष्ट जानना होता है उससे भी अनन्तगुणा स्पष्ट जानना उनके होता है।
विशेष इतना हुआ है कि - वहाँ इन्द्रियविषयका संयोग होने पर ही जानना होता था, यहाँ दूर रहकर भी वैसा ही जानना होता है - यह शक्तिकी महिमा है। तथा मन द्वारा कुछ
तीत. अनागतको तथा अव्यक्तको जानना चाहता था; अब सर्व ही अनादिसे अनन्तकाल पर्यन्त सर्व पदार्थों के द्रव्य, क्षेत्र, काल, भावोंको युगपत् जानता है, कोई बिना जाने नहीं रहा जिसको जाननेकी इच्छा उत्पन्न हो। इस प्रकार यह दुःख और दुःखोंके कारण उनका अभाव जानना।
तथा मोहके उदयसे मिथ्यात्व और कषायभाव होते थे उनका सर्वथा अभाव हुआ इसलिये दुःखका अभाव हुआ; तथा इनके कारणोंका अभाव हुआ, इसलिए दुःखके कारणोंका भी अभाव हुआ है। उन कारणोंका अभाव यहाँ दिखाते हैं :
सर्व तत्त्व यथार्थ प्रतिभासित होनेपर अतत्त्वश्रद्धानरूप मिथ्यात्व कैसे हो? कोई अनिष्ट नहीं रहा, निंदक स्वयमेव अनिष्टको प्राप्त होता ही है; स्वयं क्रोध किस पर करें ? सिद्धोंसे ऊँचा कोई है नहीं, इन्द्रादिक स्वयमेव नमन करते हैं और इष्टको पाते हैं; किससे मान करें ? सर्व भवितव्य भासित होगया, कार्य रहा नहीं, किसीसे प्रयोजन रहा नहीं है; किसका लोभ करें? कोई अन्य इष्ट रहा नहीं; किस कारणसे हास्य हो ? कोई अन्य इष्ट प्रीति करने योग्य है नहीं; फिर कहाँ रति करें ? कोई दुःखदायक संयोग रहा नहीं है; कहाँ अरति करें? कोई इष्ट-अनिष्ट संयोग-वियोग होता नहीं है; किसका शोक करें? कोई अनिष्ट करनेवाला कारण रहा नहीं है; किसका भय करें ? सर्व वस्तुएँ अपने स्वभाव सहित भासित होती हैं. अपनेको अनिष्ट नहीं हैं; कहाँ जगप्सा करें? कामपीडा दर होनेसे स्त्रीपुरूष दोनोंसे रमण करनेका कुछ प्रयोजन नहीं रहा; किसलिये पुरूष, स्त्री या नपुंसकवेदरूप भाव हो? - इस प्रकार मोह उत्पन्न होनेके कारणोंका अभाव जानना।
तथा अन्तरायके उदयसे शक्ति हीनपनेके कारण पूर्ण नहीं होती थी, अब उसका अभाव हुआ, इसलिये दुःखका अभाव हुआ। तथा अनन्तशक्ति प्रगट हुई इसलिये दु:खके कारणका भी अभाव हुआ।
___ यहाँ कोई कहे कि – दान, लाभ, भोग, उपभोग तो करते नहीं हैं। इनकी शक्ति कैसे प्रगट हुई ?
Please inform us of any errors on rajesh@ AtmaDharma.com