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(१७. राजा की कहानी)
एक था राजा । वह जंगलमें शिकार करने गया । जंगल में एक मुनिराज थे । राजा ने उनको नमस्कार किया ।
मुनिराजने कहा – 'हे राजन् ! शिकार करनेसे पाप होता है। पापसे जीव नरकमें जाता है; वहाँ वह बहुत दुःखी होता है ।'
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यह सुन कर राजा रो पड़ा; और मुनिराज से पूछा--'प्रभो ! मेरा पाप कैसे दूर हो और। मैं कैसे सुखी होऊँ ?' ।
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___ मुनिराजने कहा --' हे राजन् ! सुख तेरे आत्मा में ही है। तू शिकार करना छोड़ दे और आत्मा की पहचान कर, इससे तू सुखी होगा।
इसके बाद राजा ने शिकार करना छोड़ दिया और मुनिराज के पास रहकर आत्मा की पहचान की तथा सुखी हुआ । अन्त में वह संसार से छूटकर मोक्ष में गया ।
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बालकों! पाप छोड़ो, आत्माको समझो तो सुखी होओगे।
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