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१६. जैन
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अहिंसा परमो धर्मः। मान्य
जैन जयतु शासनम
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जैन अर्थात् जीतने वाला
जैनधर्म अर्थात् आत्मा का स्वभाव ।
जो आतमा को पहचाने सो जैन कहलाये ।। आत्माको पहचान कर जो अज्ञान को जीते सो जैन । आत्माके वीतराग-भावसे जो राग-द्वेषको जीते सो जैन । जिसने राग-द्वेषको दूर किया है वह जिनदेव है । जिनदेव ही सच्चे भगवान हैं।
भगवान सर्वज्ञ हैं, भगवान वीतराग हैं । जैन मांस नहीं खाते । जैन मधु (शहद) नहीं खाते । जैन मदिरा नहीं पीते । जैन अण्डा नहीं खाते ।
जैन धर्म अनेकांतवादी है
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