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(१५. सम्यक्चारित्र)
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सम्यक्चारित्र अर्थात् सच्चा आचरण ! आत्मा को पहचान कर उसमें रहना सो सम्यक्चारित्र है । जो आत्मा को पहचाने उसके ही सच्चा चारित्र होता है । जो आत्मा को नहीं पहचाने उसके सच्चा चारित्र नहीं होता। सम्यक्चारित्र सम-भाव है । सम्यक्चारित्र शान्ति है ।
सम्यक्चारित्र धर्म है। जिसके सम्यक्चारित्र हो उसे मुनि कहा जाता है ।
सम्यक्चारित्र से शीघ्र मोक्ष होता है । पहले सम्यकदर्शन और सम्यग्ज्ञान , पीछे सम्यक्चारित्र। सम्यकदर्शन,सम्यग्ज्ञान और सम्यक्चारित्र,तीनों मिलकर मोक्षका मार्ग है, और किसी तरह से भी मोक्ष नहीं होता ।
बालकों ! तुम भी आत्मा की पहचान करके
सम्यक्चारित्रकी भावना करो।
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