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छात्र - तो इस विश्व को बनाया किसने ? प्रध्यापक- यह तो अनादि-अनन्त स्वनिर्मित है; इसे बनाने वाला कोई नहीं। छात्र - और भगवान कौन है ? अध्यापक- भगवान दुनियाँ को जानने वाला है, बनाने वाला नहीं। जो तीन
लोक और तीन काल के समस्त पदार्थों को एक साथ जाने, वही
भगवान है। छात्र - आखिर दुनियाँ में जो कार्य होते हैं, उनका कर्ता कोई तो होगा ? अध्यापक- प्रत्येक द्रव्य अपनी-अपनी पर्याय (कार्य) का कर्ता है। कोई किसी
का कर्त्ता नहीं, ऐसी अनंत स्वतंत्रता द्रव्यों के स्वभाव में पड़ी हुई है। उसे जो पहिचान लेता है, वही आगे चलकर भगवान बनता है।
प्रश्न -
१. द्रव्य किसे कहते हैं ? वे कितने प्रकार के होते हैं ? नाम गिनाइये। २. विश्व किसे कहते हैं, इसे बनाने वाला कौन है ? भगवान क्या करते
है? ३. प्रत्येक द्रव्य की अलग-अलग संख्या लिखें। ४. परिभाषा लिखिये:
धर्म द्रव्य , अधर्म द्रव्य, आकाश द्रव्य और काल द्रव्य। ५. इन्द्रियों की पकड़ में आने वाले द्रव्य को समझाइये। ६. आत्मा का स्वभाव क्या है ? वह इन्द्रियों से क्यों नहीं जाना जा सकता
है? ७. अजीव और प्ररूपी द्रव्यों को गिनाइये।
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