________________
Version 001: remember to check http://www.AtmaDharma.com for updates
पाठ में आये हुये सूत्रात्मक सिद्धान्त-वाक्य
१. द्रव्यों के समूह को विश्व कहते हैं। २. यह लोक ( विश्व ) अनादि-अनन्त स्वनिर्मित हैं। ३. गुणों के समूह को द्रव्य कहते हैं। ४. जिसमें स्पर्श, रस, गन्ध और वर्ण पाये जायँ, वही पुद्गल है। ५. जिसमें ज्ञान पाया जाय, वही जीव है। ६. धर्मद्रव्य-स्वयं चलते हुए जीवों और पुद्गलों की गति में निमित्त। ७. अधर्म द्रव्य-गमनपूर्वक ठहरने वाले जीवों और पुद्गलों के ठहरने में
निमित्त। ८. आकाश द्रव्य - सब द्रव्यों के अवगाहन में निमित्त। ९. काल द्रव्य – सब द्रव्यों के परिवर्तन में निमित्त। १०. सब द्रव्य अपनी-अपनी पर्यायों के कर्ता है, कोई भी पर का कर्त्ता नहीं
११. भगवान लोक को जानने वाला है, बनाने वाला नहीं। १२. जीव को छोड़कर बाकी पाँच द्रव्य अजीव हैं। १३. पुद्गल को छोड़कर बाकी पाँच द्रव्य अरूपी हैं। १४. इन्द्रियाँ रूपी पुद्गल को जानने में ही निमित्त हो सकती है, आत्मा
को जानने में नहीं।
२९
Please inform us of any errors on rajesh@ AtmaDharma.com