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मैं अभी आठ दिन पहिले पिताजी के साथ कलकत्ता गया था। वहाँ वैज्ञानिक प्रयोगशाला देखने को मिली। उसमें मैंने स्वयं अपनी आँखों से देखा कि जो पानी हमें साफ दिखाई देता है, सूक्ष्मदर्शी से देखने पर उसमें लाखों जीव नज़र आते हैं।
अतः मैंने यह प्रतिज्ञा करली कि अब बिना छना पानी कभी भी नहीं पीऊँगा। मैं आप लोगों से भी निवेदन करना चाहता हूँ, आप लोग भी यह निश्चय कर लें कि पानी छानकर ही पीयेंगे।
इतना कहकर मैं आज की सभा की समाप्ति की घोषणा करता
(भगवान महावीर का जयध्वनिपूर्वक सभा समाप्त होती है।)
प्रश्न -
१. पानी छानकर क्यों पीना चाहिए ? २. रात में भोजन से क्या हानि है ? ३. क्रोध करना क्यों बुरा है ? ४. हठी बालक की कहानी अपने शब्दों में लिखिए। ५. सभा-संचालन की विधि अपने शब्दों में लिखिए।
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