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पाठ चौथा
सदाचार
बाल-सभा
(कक्षा चार के बालकों की एक सभा हो रही है। बालकों में से ही एक को अध्यक्ष बनाया गया है। वह कुर्सी पर बैठा है।) अध्यक्ष - ( खड़े होकर) अब आपके सामने शान्तिलाल एक कहानी
सुनायेंगे। शान्तिलाल - ( टेबल के पास खड़े होकर)
माननीय अध्यक्ष महोदय एवं सहपाठी भाइयो और बहिनो! अध्यक्ष महोदय की आज्ञानुसार मैं आपको एक शिक्षाप्रद कहानी सुनाता हूँ। आशा है आप शान्ति से सुनेंगे । एक बालक बहुत हठी था। वह खाने-पीने का लोभी भी बहुत था। जब देखो तब अपने घर पर अपने भाई-बहिनों से ज़राज़रा सी चीजों पर लड़ पड़ता था, उसकी माँ उसे बहुत समझाती पर वह न मानता। एक दिन उसके घर मिठाई बनी। माँ ने सब बच्चों को बराबर बाँट दी। सब मिठाई पाकर प्रसन्न होकर खाने-लगे पर
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